हिमशिखर खबर ब्यूरो
अयोध्या: अयोध्या में सनातन धर्म सम्मेलन संपन्न हुआ। जिसमें सनातन धर्म के गूढ रहस्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। समापन पर भंडारे में लोगों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इस दौरान लोगों ने सनातन धर्म पर सवाल जवाब भी किए।
अयोध्या में आयोजित सनातन धर्म सम्मेलन में उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, कलकत्ता और नेपाल से बड़ी संख्या में सैकड़ों सनातनधर्मावलंबियों का हुजूम उमड़ा। मुख्य वक्ता सनातन ऋषि मनोज गुप्ता ने सनातन पर कई आश्चर्यजनक खुलासे किए। कहा कि शरीर की ऊर्जा हाथ से प्रवाहित होती है। ऊर्जा का संचार पूरे शरीर में होता है। सत्संग-भजन के दौरान ताली बजाने से सकारात्मकता का संचार होता है, ताली सदैव खुशी से बजाई जानी चाहिए। कहा कि आज के दौर में सनातन की अलग-अलग परिभाषा दी जाती है। कुछ लोग कहते हैं कि अच्छे कर्म करना सनातन है, देवी देवताओं की पूजा करना सनातन है। लेकिन सवाल यह है कि वास्तव में सनातन है क्या? सनातन को समझने से पहले एक बात को समझना पड़ेगा। धार्मिक शास्त्र ग्रंथों में कहा गया है मनुष्य बनो मनुष्य बनो। तो क्या हम मनुष्य नहीं है। अगर हम मनुष्य हैं तो फिर क्यों कहा गया है मनुष्य बनो। आज हम इसी यात्रा को समझते हैं। ऋग्वेद में लिखा ‘मनुर्भव’ अर्थात मनुष्य बनो। आखिर ऐसा क्यों कहा गया है। ‘मनुर्भव’ मनुष्य बनो। क्योंकि जन्म से हम सभी शुद्र है। इस गलतफहमी में कभी मत रहना कि हम जन्म से सभी शुद्र नहीं है। तो हमें मनुष्य बनना पड़ेगा।
समापन पर लाडेसर आश्रम की संचालिका मंजू शेखावत ने सफल कार्यक्रम के लिए धन्यवाद दिया।