नई टिहरी।
करीब डेढ़ महीने पहले जब किशोर उपाध्याय भाजपा में शामिल हुए, तो सर्द हो रहे मौसम में चुनावी तस्वीर पर ओस की बूंदें जैसे जमी हुई थी। बहुत कुछ धुंधला और उलझा सा हुआ था। चुनाव के ऐन वक्त पर किशोर के कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन किशोर जनता की कसौटी पर खरे उतरे और विजय की जीत दर्ज की। टिहरी विधानसभा से किशोर उपाध्याय तीसरी बार विधायक बने हैं।
टिहरी विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय सभी भाजपा कार्यकर्ताओं का है। इस चुनाव में भाजपा के कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियों ने किशोर को जीताने के लिए जी तोड़ मेहनत की। इसके साथ ही किशोर का सरल और सौम्य व्यवहार के साथ सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला कारगर साबित हुआ। वहीं, इस चुनाव में किशोर उपाध्याय की जीत में एक नाम ऐसा भी है, जो उभरकर सामने आया है। ये शख्स किशोर के छोटे भाई सचिन उपाध्याय हैं। सचिन ने पूरे चुनाव में चंबा क्षेत्र में रहकर चुनावी रणनीतिक तौर पर बड़ा काम किया है।
गुटबाजी को किया दूर
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कांग्रेस से 44 साल पूराना नाता तोड़ने के बाद 27 जनवरी को भाजपा में शामिल हुए थे। उसके अगले ही दिन भाजपा की ओर से किशोर को टिहरी सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया गया था। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होने के कारण लग रहा था कि किशोर को मूल भाजपाई पचा नहीं पाएंगे और पार्टी में विद्रोह जैसी स्थिति बन सकती है। लेकिन किशोर ने सबको एकजुट करने में सफलता हासिल की। किशोर के सरल और सौम्य व्यवहार के कारण ही पूरे चुनाव में भाजपा के भीतर कोई गुटबाजी नजर नहीं आई।
परिवार के लोगों ने भी संभाली कमान
बताते चलें कि विधानसभा चुनाव की तिथि 14 फरवरी को तय थी। ऐसे में चुनावी रण में देर से उतरे किशोर के सामने दो सप्ताह के बहुत कम अंतराल में जीत हासिल करना किसी चुनौति से कम नहीं था। किशोर के अपने परिवार के लोग भी टिहरी का किला फतह करने के लिए मैदान में उतरे। इसमें उनकी पत्नी सुमन उपाध्याय और छोटे भाई सचिन उपाध्याय किशोर की चुनावी वैतरणी को पार करने के लिए मैदान में उतरी। इसके लिए सुमन उपाध्याय जाखणीधार क्षेत्र और सचिन ने चंबा क्षेत्र की जिम्मेदारी ली। सुमन उपाध्याय ने जाखणीधार में गांव-गांव जाकर प्रचार-प्रसार किया। वहीं, सचिन ने चंबा क्षेत्र क्षेत्र में चुनावी प्रबंधन में मुख्य भूमिका अदा की। बताते चलें कि पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों में किशोर की चंबा क्षेत्र से स्थिति कमजोर रही थी। ऐसे में सचिन के सामने चुनौति ज्यादा थी। सचिन ने कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति रचने में खास भूमिका निभाई। वैसे उनकी भूमिका पर्दे के पीछे रहकर चुपचाप काम करने करने वाले शख्स की रही है। उन्होंने प्रचार-प्रसार के साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए भी मतदाताओं में पैठ बनाई। इसी का परिणाम रहा कि इस चुनाव में किशोर को चंबा क्षेत्र से अच्छा खासा वोट मिला।
रणनीतिकार हैं सचिन
किशोर उपाध्याय की जीत के लिए टिहरी विधानसभा के भाजपा कार्यकर्ता भी सचिन उपाध्याय का नाम लेते हैं। किशोर की जीत की जिन वजहों, उसमें एक वजह पर्दे के पीछे से लगातार सचिन उपाध्याय की रणनीति भी रही है। सचिन कालेज के दिनाें से ही सक्रिय राजनीति में उतर गए थे। सचिन दिल्ली यूनिवर्सिटी में सेंट्रल काउंसलर भी रह चुके हैं। इसके अलावा सचिन कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं।