संतोष स्वरुप सकलानी
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस कुछ खास मायनों में इसलिये भी विषेष है कि इस वर्ष हम उस महामानव की जनशताब्दी वर्ष मन रहे हैं जिन्होंने अपने पूरे जीवन काल में करोड़ों करोड़ वृक्ष इस धरा पर लगाये हैं। वे यह काम तब से कर रहें हैं जबकि पयार्वरण शब्द भी अस्तित्व में नहीं था सोचिए जब वे मात्र 8 साल के बच्चे थे और यह अभियान अनवरत उनकी आखरी साँस तक चलता रहा जब तक कि वे 97 वर्ष की आयु पूर्ण कर देह त्याग कर नहीं चले गये। लगभग 90 वर्षों तक वे इस धरती माँ में जूनून की हद तक वृक्षारोपण करते रहे, कुछ लोग कहतें हैं उन्होंने 50लाख से अधिक वृक्ष लगाये लेकिन मैं कहता हूँ कि वहाँ पर वर्तमान में उनकी संख्या 4 -5 करोड़ से अधिक होगी कुछ नये वृक्ष भी उन वृक्षों से अवश्य पैदा हुए होंगे।
विश्व पर्यावरण के लिये शायद ही उनसे अधिक कार्य किसी और ने इस धरती पर पर किया होगा। ये सही है कि उनके कार्य को जितनी प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए थी वो अब तक नहीं मिली और न स्वयं भी उन्हें इसकी कभी परवाह रही वे तो एक निष्काम कर्मयोगी की तरह अपने धुन में लगे रहे उनके लिये तो सब कुछ ही वृक्ष ही थे।
उनकी जन्मशताब्दी दिवस समारोह के अवसर पर जब टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय जी ने सुप्रीम कोर्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देकर यह बताया कि एक वृक्ष एक वर्ष में कम से कम 74000 रु मुल्य के जैविक एवं प्राकृतिक संसाधन हमें देता है तो आंकलन कर गणना करें । जिस ब्यक्ति ने अपने जीवन काल में 50 लाख से अधिक वृक्ष लगाएं हों वह खरबों की संपत्ति छोड़कर चला गया जिसका कि कम्प्यूटर भी सही सही हिसाब नहीं लगा पा रहा है। उन्होने कहा आज हमारा दुर्भाग्य है कि हम उनके लगाये हुये वृक्षों को न तो शासन प्रशासन और न ही हम सहेज कर नहीं रख पा रहे हैं यह अत्यंत चिंताजनक है। आज जनमानस का नजरिया पर्यावरण के प्रति अत्यंत उदासीन है जो कि एक भयंकर त्रासदी को जन्म दे सकती है ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम पूर्ण मनोयोग से इस विषय पर सजग होकर सोचें।
अन्यथा न आप रहेंगें न हम और न ही हमारी बसुंधरा।
तो आइये शपथ लें कि हम हमारे पर्यावरण को बचाने के लिये अपना सर्वस्व न्योछावर कर देंगें, वृक्षमानव जी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में यही उस महामानव को सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
वृक्षमानव जी के परिजनों द्वारा सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि उनके जन्मशताब्दी वर्ष को वृक्षारोपण, वन सम्बर्धन एव वन सुरक्षा वर्ष के रूप में मनाया जाय एवं इस अवसर पर देश एवं प्रदेश स्तर पर वृहद वृक्षारोपण अभियान चलाया जाय।
इस अभियान का शुभारंभ उनके जन्मशती दिवस 2 जून 2022 से उनकी जन्मभूमि पुजार गाँव सकलाना से हो चुका है जिसमे देश विदेश के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यावरण विद ,समाज सेवी, राजनैतिक दलों से जुड़े हुए लोग प्रतिभाग कर चके हैं।
स्वयं वृक्षमानव के परिजन भी इस अभियान में बड़ चढ़ कर हिस्सा ले रहें हैं अब देखना होगा कि क्या यह अभियान सिर्फ एक परिवार तक ही सीमित रहता है या सरकार इस अभियान को एक जनांदोलन के रूप में चलाती है ।
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सहित।