सुप्रभातम् : कोरोना संकट के दौर में भगवान श्रीकृष्ण जैसी समझ और अर्जुन जैसी वीरता की जरूरत

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

महाभारत का युद्ध सबसे विनाशकारी युद्धों में से एक माना जाता है. इस युद्ध में कौरवों का सब कुछ नष्ट हो गया. धतृराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रों को जान गंवानी पड़ी. महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला. महाभारत के युद्ध में जब कौरवों की सेना पांडवों की सेना पर भारी पड़ने लगी तो पांडवों को हार जाने का डर सताने लगा क्योंकि भीष्म पितामह पांडवों की सेना पर लगातार भारी पड़ते जा रहे थे.

श्रीकृष्ण के मन में तब एक युक्ति आई और उन्होंने भीष्म पितामह को परास्त करने के लिए शिखंडी का सहारा लिया. शिखंडी महाभारत में एक रहस्मय पात्र के रूप में नजर आता है. शिखंडी पुर्नजन्म में स्त्री था. अगले जन्म में भी शिखंडी स्त्री के रूप में जन्म लेता है, लेकिन वह पुरूष बन जाता है

महाभारत युद्ध में शिखंडी को सामने देखकर भीष्म पितामह ने अपने शस्त्र जमीन पर पटक दिए थे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था-उठाओ धनुष और चलाओ तीर…। तब अर्जुन ने कहा था-यह तो उचित समय नहीं है। इस समय तो पितामह निहत्थे हैं और शिखंडी भी उन पर वार कर गलत कर रहा है।

तब भगवान श्रीकृष्ण बोले थे-अर्जुन, शिखंडी के तीरों से भीष्म घायल हुए जा रहे हैं। इतिहास को यह कहने का मौका न दो कि भीष्म जैसा वीर पुरुष एक अपूर्ण पुरुष के हाथों मारा गया। इस समय यदि तुम्हारे तीर चलेंगे तो एक वीर दूसरे वीर के हाथों वीरगति को प्राप्त होगा।

आज हमें महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण की इस बात की गहराई को समझने की जरूरत है। हम भी कहीं इस वायरस के हाथों पराजित होकर इतिहास को अवसर न दे दें। इस समय कोरोना संकट के खिलाफ श्रीकृष्ण जैसी समझ और अर्जुन जैसी वीरता दिखानी होगी।

हम सभी जानते हैं कि एक जान की कीमत कितनी होती है। इसलिए इस महामारी के दौर में हर देशवासी को समझना होगा कि मनुष्य से मनुष्य की दूरी यानी मौत से दूरी। इस दूरी को उम्मीद की किरण मानें कि जिंदगी दोबारा से खुशनुमा शक्ल में लौटेगी। इस समय मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग में जीवन का स्वाद है। इस वक्त यदि समझदारी और सावधानी से काम लिया तो हमारी खूबियों की गवाही खुद कुदरत देगी।

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