जन्माष्टमी 2021 : इस वर्ष है भगवान श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्स्व, जानें जन्माष्टमी तिथि व मुहूर्त


भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। कृष्ण जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र था और सूर्य सिंह राशि में तो चंद्रमा वृषभ राशि में था। इसलिए जब रात में अष्टमी तिथि हो उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए।

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मुख्य बातें

  • भाद्रपद मास के कृष्ण अष्टमी पर हुआ था देवकीनंदन का जन्म, भारत में धूमधाम से मनाया जाता है कृष्ण जन्मोत्सव
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष 30 अगस्त को पड़ रही है
  • जन्माष्टमी पर गायों को हरी घास खिलाना चाहिए

हिमशिखर धर्म डेस्क

भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसी मान्यता के आधार पर हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी इसी दिन मनाई जाती है। श्रीकृष्ण का जन्मदिन एक उत्सव के समान होता है। धूमधाम से पूरे विधि विधान के साथ बाल गोपाल का जन्म उत्सव मनाने की परंपरा है। न सिर्फ भारत बल्कि विदेश में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम रहती है।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अधर्म के ऊपर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। भगवान कृष्ण के भक्‍त जन्माष्टमी के दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन हर ओर खुशियां होती हैं। भगवान कृष्ण का जन्म मानों भक्तों के जीवन में नया उत्साह भर देता है। इस द‍िन की तैयारी भक्‍त कई दिन पहले से कर देते हैं।

30 को होगा जन्माष्टमी का त्योहार

ज्योतिषाचार्य पंडित उदय शंकर भट्ट के अनुसार, द्वापर युग में श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और बुधवार के दिन हुआ था। साथ ही उस दिन चंद्र वृष राशि में स्थित था। कुछ ऐसे ही संयोग इस साल भी बन रहे हैं। बताया कि, इस साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त दिन रविवार की रात से शुरू हो जाएगी जो 30 अगस्त सोमवार की रात तक रहेगी। ऐसे में पूरे देश में 30 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि को हुआ था। धर्म शास्त्रों के अनुसार व्रत सदैव उदया तिथि में रखा जाना चाहिए। इसलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत व त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा।

12 बजे जन्म उत्सव मनाते हैं

चूंकि तिथि के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में हुआ था इसलिए घरों और मंदिरों में मध्यरात्रि 12 बजे कृष्ण भगवान का जन्म उत्सव मनाते हैं। रात में जन्म के बाद दूध से लड्डू गोपाल की मूर्ति को स्नानादि कराने के बाद नए और सुंदर कपड़े और गहने पहनाकर श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया जाता है, फिर पालने में रखकर पूजा आदि के बाद चरणामृत, पंजीरी, ताजे फल और पंचमेवा आदि का भोग लगाकर प्रसाद के तौर पर बांटते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कृष्ण भगवान के भक्त व्रत रखते हैं तथा उनकी विधिवत तरीके से पूजा करते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धा-भाव से भगवान श्री कृष्ण की पूजा-आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत होती है।

सजाई जाती है झांकी

जन्माष्टमी के पावन पर्व को लोग उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। पूजा और व्रत के साथ इस दिन घरों और मंदिरों में झांंकी भी सजाते हैं। इन झांकियों की श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर पूरे जीवनकाल के दृष्टांत दिखाए जाते हैं चूंकि भगवान जन्म कारागार में हुआ था इसलिए आज भी कई पुलिस लाइन्स में भगवान की सुंदर झांकियां सजाई जाती है, इसके अलावा लोग अपने घरों में बहुत सुंदर झांकी सजाते हैं।

 

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