चंबा।
हम सबके जीवन में सत्यम, शिवम, सुंदरम का भाव होना चाहिए। अर्थात जो सत्य है वही श्रेष्ठ है और श्रेष्ठ ही शिव है। जो शिव है वही सुंदर है और जो सुंदर है वही कल्याणकारी है। हमारा शरीर भी चंद्रमा की तरह कभी घटता और कभी बढ़ता है, इसलिए जीवन में हमेशा शिव की आराधना और उपासना नियमित रूप से करते रहें। शिव की आराधना से ही जीवन आनंदमयी होगा। यह बात नगर के बागेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में कथा के दूसरे दिन कथावाचक डा. दुर्गेशाचार्य महाराज ने कही।
कथावाचक डा. दुर्गेशाचार्य महाराज ने कहा कि पापों से पाप कर्म उत्पन्ना होता है एवं उसकी निर्जरा तीर्थ क्षेत्र की यात्रा एवं दर्शन-वंदन से हो जाती है, लेकिन तीर्थ क्षेत्र में ही यदि कोई पाप कर्म का बंधन हो जाए तो उसकी निर्जरा संभव ही नहीं है। इसलिए हमें तीर्थ क्षेत्र पर कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे पाप कर्म का बंधन होता हो। किसी भी तीर्थ पर जब आप दर्शन-वंदन के लिए जाते हैं और वहां तप आराधना करते हैं तो अन्य क्षेत्र में किए पापों का क्षय स्वतः हो जाता है। तीर्थ में किए गए पाप वज्र बन जाते हैं। कहा कि तीर्थ स्थल की स्वच्छता एवं पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
इस मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण कोठारी, सुनील गोपाल कोठारी, ओम प्रकाश कोठारी, बाचस्पति कोठारी, महेश कोठारी, दिनेश, सुरेंद्र उनियाल, आदि शामिल थे।
ऊ नम: शिबाय, 🙏 शिवपुराण कथा आयोजक समिति को हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाए, भोलेनाथ की कृपा सभी भक्तजनो पर बनी रहे :- केपी सकलानी अध्यक्ष वरिष्ठ नागरिक कल्याण संस्था उत्तराखंड