हिमशिखर विज्ञान डेस्क
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) के भौतिक विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों का चयन राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रबंधन (नासा) समर्थित अंतरराष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग कार्यक्रम में क्षुद्रग्रहों (एस्टेरॉयड) की खोज करने के लिए हुआ है।
नासा का यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र संघ के सहयोग से संचालित स्पेस जेनेरेशन एडवाइजरी काउंसिल द्वारा 1 नवम्बर से 26 नवम्बर तक होगा। जिसमें हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के संजीव कुमार और कर्ण सिंह (शोध छात्र), महावीर प्रसाद और शिवानी कुलासरी (परास्नातक विद्यार्थी) व प्रवीण कुमार (स्नातक विद्यार्थी) द्वारा वरिष्ठ भौतिक वैज्ञानिक डॉ. आलोक सागर गौतम के निर्देशन में पृथ्वी के पास स्थित नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट और मंगल व बृहस्पति ग्रह के मध्य स्थित क्षुद्रग्रहों की खोज की जाएगी।
क्या होते है क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड)
क्षुद्रग्रह अंतरिक्ष के चट्टानी व वायुहीन सदस्य है जो सूर्य की परिक्रमा करते है, इनका आकार ग्रहों से छोटा होता है। मंगल व ब्रहस्पति ग्रह की कक्षाओं के मध्य डोनट के आकार का विशाल क्षुद्रग्रह वलय है जिसे मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट कहा जाता है। यहां क्षुद्रग्रहों के हजारों की संख्या में क्लस्टर मौजूद है। पृथ्वी के करीब के क्षुद्रग्रहों को नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट या नीओ कहा जाता है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय की टीम खगोल विज्ञान संस्थान (हवाई विश्वविद्यालय) की पैन-स्टार्स टेलिस्कोप से प्राप्त खगोलीय डेटा इमेजेस पर शोध कर क्षुद्रग्रहों की खोज करेगी।
वरिष्ठ भौतिक वैज्ञानिक डॉ. गौतम ने बताया कि विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों का एस्टेरॉयड सर्च कैम्पेन में चयन होना विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है, हमारे विद्यार्थी विश्व पटल पर विश्वविद्यालय को स्थापित कर सकेंगे, साथ ही इस प्रकार की गतिविधियां विद्यार्थियों को भविष्य में खगोल भौतिकी व डेटा आधारित शोध के लिए प्रेरित करेगी।