डॉ रचना तैलंग, प्रधान विश्व गुरु विद्यापीठ परिषद
नई दिल्ली: वर्धा वैचारिक धरातल की आंदोलन भूमि से उठे भूदान, सर्वोदय, स्वराज, गौरक्षा व हिन्दी के आंदोलन आज इतिहास बन चुके हैं। देश के वर्तमान आंदोलन दूषित हो चुके हैं। एक अन्ना का सच्चा आंदोलन उठा था, वह भी किस स्थिति का परिणाम दे गया।
आज आवश्यकता है फिर से एक राष्ट्र पुनर्रचना आंदोलन खड़ा हो। संस्कृति के लिये, गाय, गोबर, गाँव के लिये ग्रंथ व गुरुकुल के लिए। विदेशी से स्वदेशी के लिये, सनातन के लिये संत व शुद्धि के लिये।
(1) विविध सनातन, सकारात्मक मंच एक छत्त के नीचे आएं। सनातन, संत, संस्कृति, सत्य।
(2) वर्धा देश के ह्रदय से – आंदोलन पर यात्रा की शुरुआत हो।
(3) महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होकर दिल्ली तक यात्रा जाए।
(4) अब गाँधी आदि का भेद मिटाकर राष्ट्र धर्म की यात्रा निकले।
(5) ग्राम सुधार, समग्र विकास, संतुलित विकास, पर्यावरण सुधार, शिक्षा सुधार, विकास में सुधार, प्रशासन सुधार।
(6) जिस गाँव में रुकें 50 कार्यकर्ता तैयार करें। 5 गौशाला खोलें, 15 गुरुकुल, 20 ग्राम योजना व 15 आत्मनिर्भर इकाई कायम करें।
(7) सभी संस्थानों व विश्वविद्यालयों के साथ mou करेगें कि वे आधुनिक शिक्षा के साथ गुरुकुल शिक्षा को भी प्रधानता देंगे।
(8) शिक्षा ग्रामीण, व्यवहारिक एवं कर्म प्रधान होगी। कर्म के अनुसार ही रोजगार को अपना सकेगे। “डिग्री, पीरियड, नंबर व लिखित परीक्षा के स्थान पर प्रशिक्षण को महत्व दिया जायगा।
(9) सभी NGO मिलकर एक कॉमन कार्यक्रम तय कर क्षेत्र या गाँव के समग्र विकास के अलग – अलग पक्षों की जिम्मेदारी लेगी।
(10) सरकार को भी प्रेरित किया जायगा कि प्रत्येक पहलू के विकास मे पूर्ण सहयोग करें।
(11) अर्थ के स्थान पर सेवा, स्वार्थ के स्थान पर राष्ट्र धर्म एवं निज के स्थान पर समाज को महत्व दें। ऐसी प्रेरणा दी जाए ।
(12) ग्राम और नगर के समग्र पक्षो में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कानून, प्रशासन, धर्म, समाज व संस्कृति, संयुक्त रूप से सभी को सम्मिलित किया जाय।
(13) इस प्रकार भारत विश्वगुरु बनेगा, ग्राम योजना, आदर्श शिक्षा व्यवस्था, गुरुकुल पद्धति व विकास समाज सेवा का रूप लेगा।
(14) भारत का यह मॉडल विश्व के अन्य देशों के सदस्यों को दिखाकर उन्हें भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया जायगा। भारत सभी देश का लीडर बन कर विश्वगुरु बनेगा।