भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इस देश का सर्वोच्च राजनीतिक पद देश के राष्ट्रपति पद को माना जाता है। देश का राष्ट्रपति हमारे देश का प्रतिनिधत्व करता है। उसके अधिकार में ऐसी कई शक्तियां होती हैं जो देश के भविष्य के लिए निर्णायक साबित होती हैं। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई 2022 में पूरा हो जाएगा। उनके बाद इस पद को कौन संभालेगा यह अभी कोई नहीं कह सकता।
हिमशिखर खबर ब्यूरो।
भारत ऐसा देश है, जहां हमेशा हर साल चुनाव होते रहते हैं। जब देश में नया संविधान बनने के बाद ये 1950 में लागू हुआ तो देश में लोकसभा और सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए लेकिन फिर इंदिरा गांधी द्वारा 1972 के चुनाव 14 महीने पहले ही करा लेने के फैसले के साथ कुछ राज्यों में सरकार गिरने या राष्ट्रपति शासन लगने से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ होने की बजाए अलग अलग समय पर होते चले गए। यही वजह है कि अब देश में हर साल ही तकरीबन कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव होते हैं।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव-नतीजे आने के ठीक बाद एक और चुनाव होने वाला है। जुलाई महीने में देश के राष्ट्रपति का और अगस्त में उप राष्ट्रपति का चुनाव होना है। लिहाज़ा, इन पांच राज्यों के नतीजों पर बहुत हद तक ये दारोमदार रहेगा कि इन दोनों पदों पर मोदी सरकार के नेतृत्व वाले एनडीए का ही व्यक्ति आसीन होगा या फिर उसे विपक्षी दल से चुनौती मिलेगी।
वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 24 जुलाई 2022 को सेवानिवृत्त हो जायेंगे। हालांकि, संविधान में ऐसा प्रावधान नहीं है कि कोई भी व्यक्ति को उस पद पर दुबारा ना चुना जाए, पर पांच साल के कार्यकाल के बाद राष्ट्रपति की सेवानिवृति की एक परंपरा सी बन गयी है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ही लगातार दो बार इस पद पर चुने गए थे। उनके बाद किसी और को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। शायद इसलिये कि उस दौर के बाद आई सरकारों ने पांच साल का कार्यकाल पूर्ण होते ही राष्ट्रपति की सेवानिवृति को एक तरह की परंपरा बना दिया, जो अब तक जारी है।
अगर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दोबारा चुन लिए जाते हैं, तो वे भारतीय गणतंत्र के 15 वें ऐसे राष्ट्रपति बन जाएंगे, जो डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की मिसाल बनेंगे। लेकिन कोविंद को फिर से एनडीए का उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना इसलिये भी नही है कि वे पीएम मोदी के बनाये उस अलिखित नियम के दायरे से बाहर हो चुके हैं। सत्ता में आते ही उन्होंने नियम बनाया था कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेता को कोई पद नहीं दिया जाएगा। जबकि राष्ट्रपति कोविंद पिछले साल 1 अक्टूबर को 76 वर्ष के हो गए हैं। लिहाज़ा, इस नियम के मुताबिक उन्हें तो इस रेस से बाहर ही समझा जाना चाहिए।
फिलहाल एनडीए को सांसद और राज्यों की विधानसभाओं में बहुमत हासिल है। लेकिन पंजाब को छोड़कर बाकी चार राज्यों यानी उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में नतीजे अगर बीजेपी के अनुकूल नहीं आये, तब इन दोनों अहम पदों के लिए होने वाले चुनाव का गणित कुछ गड़बड़ा सकता है, जिसके कारण एनडीए के लिए ये मुकाबला कड़ा भी बन सकता है। पांच साल पहले साल 2017 में जब इन दोनों पदों के लिए चुनाव हुए थे, तब पंजाब को छोड़ बाकी चारों राज्यों में बीजेपी यानी एनडीए की ही सरकार थी, लिहाज़ा उसके पास पूर्ण बहुमत था और विपक्ष के लिए वह चुनाव महज़ औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं था।
राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के अलावा राज्य के विधानसभा सदस्य भी मतदाता होते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति का चुनाव दोनों सदनों के सांसद करते हैं। इसीलिये इन पांच राज्यों के चुनावी-नतीजे राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी मोदी सरकार के लिए बेहद अहम समझे जा रहे हैं।
हालांकि इन पांच विधानसभाओं के नतीजे चाहे जो आयें लेकिन दिल्ली के सियासी गलियारों में अभी से ये सवालिया चर्चा छिड़ पड़ी है कि देश का अगला राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति आखिर कौन होगा? सवाल उठ रहा है कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ही पांच साल का दूसरा कार्यकाल मिलेगा या उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू को प्रमोशन देकर उन्हें राष्ट्रपति बनाया जायेगा या फिर इन दोनों ही पदों पर कोई नया चेहरा लाया जायेगा?
वैसे सच तो ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने किसी भी अहम सियासी फैसले की भनक कभी मीडिया को नहीं लगने दी और अक्सर उन्होंने अपने हर फ़ैसले से सबको चौंकाया भी है। लिहाज़ा माना जा रहा है कि इस बार भी इन दोनों पदों के लिए वे कोई ऐसे नाम सामने ले आयें कि जिसे सुनकर हर कोई चौंक जाये, तो उसमें हैरानी वाली बात नहीं होगी।
वैसे इन दोनों पदों के लिए चेहरे कौन होंगे, यह तो जून में शुरु होने वाली नामांकन प्रक्रिया से पहले ही पता चलेगा। लेकिन सियासी गलियारों में चल रही खुसर-फुसर पर गौर करें, तो तीन नाम इस वक़्त चर्चा में हैं। पहला नाम लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला का है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें इन दोनों में से किसी एक पद के लिए मैदान में लाया जा सकता है। अगर वैंकेया नायडू को प्रमोशन मिलता है, तो फिर ओम बिड़ला को उप राष्ट्रपति बनाये जाने की खबरें दिल्ली के गलियारों में तैर रही हैं।
वहीं, अगर राज्यों के राज्यपालों की सूची पर नज़र डालें तो उसमें सबसे चिरपरिचित नाम केरल में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का है। सूत्रों के अनुसार आरिफ मोहम्मद खान को उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है। खान कानून और संविधान के विशेषग्य माने जाते हैं और उनके मार्फ़त हो सकता है कि बीजेपी गैर-दकियानूसी मुस्लिम मतदाताओं को 2024 के आम चुनाव के लिए आकर्षित करने की कोशिश करे।
रोचक होगा यह देखना कि अगला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति क्या इन्हीं तीन लोगों में से कोई होगा या फिर प्रतिभा पाटिल और रामनाथ कोविंद की तरह किसी ऐसे नेता की लाटरी लग जायेगी जो इस समय इस पद के बारे में सपने में भी नहीं सोच रहा होगा!