सुप्रभातम्: गणतंत्र की कसौटी पर परखने का मौका

Uttarakhand

स्वामी कमलानंद (डा कमल टावरी)

पूर्व सचिव भारत सरकार


सभी देशवासियों को मेरा प्रणाम। आज भारत अपना 75 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। यह गर्व और खुशी का अवसर तो है ही, आत्म निरीक्षण का मौका भी है। पिछले कुछ समय में भारतीय गणतंत्र की चमक दुनिया में और मजबूती से फैली है। वैश्विक मंचों पर भारत को विशेष प्रतिष्ठा मिली है, उसकी बातों को गौर से सुना जाता है। उसकी पहचान एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था और ताकतवर देश की बनी है। अमेरिका-यूरोप में भारतीयों को कार्यकुशल और मेहनती समुदाय के रूप में देखा जाता है। यह सब खुद में बड़ी उपलब्धि है और इस बात का प्रमाण है कि हम भारतीय अगर अपनी ऊर्जाओं को जोड़े रख सकें तो कोई भी लक्ष्य हमारी पहुंच से बाहर नहीं है।

हमारा संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है, इसलिए जनता का नीर-क्षीर आचरण कहीं अधिक आवश्यक हो जाता है। हमारा संविधान हर किसी को अपनी बात कहने की अनुमति देता है, लेकिन इसका कोई औचित्य नहीं कि इस अधिकार का इस्तेमाल भौंडे तरीके से किया जाए। व्यक्ति, समाज और राष्ट्र तभी सही दिशा में आगे बढ़ते हैं, जब वे सकारात्मक भाव से लैस होकर आगे बढ़ते हैं। यही भाव हर तरह की समस्याओं के समाधान की कुंजी प्रदान करता है।

गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है। उनके आने से दोनों देशों के बीच के रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे। फ्रांस के साथ भारत के संबंध हमेशा से बेहतर रहे हैं, मगर इस समय जब दुनिया के राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं, इन दोनों के रिश्तों की मजबूती कई चुनौतियों से पार पाने में मददगार साबित होगी। भारत के लिए फ्रांस का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि वह भारत का दूसरा बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता देश है। रफाल लड़ाकू विमान और स्कार्पियन पनडुब्बी की आपूर्ति के अलावा वह भारत के एक बड़े रणनीतिक साझीदार के रूप में उभरा है। खासकर हिंद महासागर में दोनों देशों के बीच संयुक्त सामरिक समझौते हैं।

 अंत मैं यह कहना चाहूंगा कि जीवन में अपना फैसला स्वयं लेने की आदत डालिए, दूसरों पर निर्भर मत रहिए। रोजाना स्वाध्याय करें। दूसरा यह कि किसी दूसरे के कहने पर ज्यादा विश्वास मत कीजिए। उसी पर विश्वास कीजिए, जो आपके तर्क की कसौटी पर खरी उतरती हो। तीसरा, अपने से जो संभव हो सकता है, उसको जरूर करें। अपने साथ ही राष्ट्र के हित के लिए भी सोचें। हम लोगों ने नेतृत्वशाला पर अभियान चलाया हुआ है। यदि हमारा वार्ड, नगर और जहां-जहां पर चुनाव होता है, यदि वहां पर नेतृत्व ही गड़बड़ होगा तो भ्रष्टाचार खा जाएगा। इन पिछले सालों में हमने बहुत कुछ पाया है और बहुत पाना बाकी भी है। हमें सोचना होगा कि हम कैसे मिलकर देश को आगे बढाने का काम कर सके।

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