सुप्रभातम्: आज वैशाख माह की अमावस्या; सुबह सूर्य को अर्घ्य, दोपहर में पितरों को धूप और शाम को करें तुलसी पूजा

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand
आज शनिवार को वैशाख माह की अमावस्या है। अभी गर्मी का समय होने से इस तिथि पर जल का दान जरूर करें। जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल और छाते का दान करें। वैशाख मास की अमावस्या पर दिन की शुरुआत सूर्य को अर्घ्य देकर करनी चाहिए।
इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण आदि शुभ भी जरूर करें। पितरों से संबंधित शुभ काम दोपहर में करना चाहिए। दोपहर में गोबर के कंडे जलाएं और जब धुआं निकलना बंद हो जाए तब गुड़ और घी से धूप अर्पित करें। इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें।
शनिवार को अमावस्या होने से इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। इस बार वैशाख अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी रहेगा, लेकिन ये ग्रहण भारत नहीं दिखेगा। इस वजह से ग्रहण से संबंधित मान्यताएं भारत में मान्य नहीं होंगी और अमावस्या से संबंधित पूजन कर्म किए जा सकेंगे।
वैशाख अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं
  • इस अमावस्या पर संभव हो सके तो किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगवाएं। आप चाहें तो किसी प्याऊ में मटके या जल का दान भी कर सकते हैं। आम लोगों के लिए शीतल पेय की व्यवस्था कर सकते हैं, जिनसे लोगों को गर्मी में शीतलता मिल सके।
  • शनिवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें। अर्घ्य चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। सूर्य को पीला फूल चढ़ाना चाहिए। धूप-दीप जलाएं। सूर्य देव के लिए गुड़ का दान करें। किसी मंदिर में पूजा-पाठ में काम आने वाले तांबे के बर्तन दान कर सकते हैं।
  • घर की छत पर या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें। गाय को हरी घास खिलाएं और गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।
  • वैशाख मास की अमावस्या पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग ठंडा जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े का फूल, जनेऊ, चावल आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं, आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें। किसी मंदिर में शिवलिंग के लिए मिट्टी के कलश का दान करें, जिसकी मदद से शिवलिंग पर जल की धारा गिराई जाती है।
  • अमावस्या पर सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और सूर्यास्त पर तुलसी के पास दीपक जलाएं, पूजा करें और परिक्रमा करें। ध्यान रखें शाम को तुलसी का स्पर्श नहीं करना चाहिए। ये बात ध्यान रखते हुए पूजा करें।

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