सुप्रभातम्: अन्न ही ब्रह्म है

भारतीय दर्शन चर-अचर में ब्रह्म तत्व की उपस्थिति स्वीकार करता है, लेकिन भौतिक जीवन के पोषक तत्व अन्न को ब्रह्म का ही एक रूप माना गया है। शास्त्रों में स्पष्ट विधान है कि जो भी वस्तु मानव जीवन को सुखद और विकासमान बनाने में सहायक होती है वह श्रद्धेय है। इसलिए उनमें देवतत्व का निरूपण कर मनीषियों ने उनके परम महत्व का निरूपण किया है। 

Uttarakhand

हिमशिखर धर्म डेस्क

शरीर के रक्षण-पोषण, संवर्धन में सहायक व जीवन की आधारभूत सत्ता है- अन्न। अत: इसे आदरपूर्वक सहेजें। जीवन की प्रत्यक्ष आवश्यकताओं में प्रथम नाम अन्न का आता है। अन्न का संरक्षण ही जीवन का संरक्षण है। अन्न ब्रह्म है। खाद्यान्न संकट निवृत्ति के लिए खेत-खलिहानों में शुद्ध अन्न उत्पादन, भंडारण व प्रबंधन की जागरूकता अपेक्षित है।

अन्न पहली मांग है, जो शुद्ध-सात्विक-संतुलित हो, अन्न के प्रति प्रसाद भाव रहे और उसे अभावग्रस्त तक पहुंचाएं। उत्सवों और आयोजनों में अन्न की बर्बादी चिंता का विषय है तथा परमात्मा स्वरूप अन्न का अपमान है। ‘अन्नो वै ब्रह्म’ ..!

Uttarakhand

‘अन्नेन जातानि जीवन्ति।’ वैसे तो भारतीय दर्शन चर-अचर में ब्रह्म तत्व की उपस्थिति स्वीकार करता है, लेकिन भौतिक जीवन के पोषक तत्व अन्न को ब्रह्म का ही एक रूप माना गया है। शास्त्रों में स्पष्ट विधान है कि जो भी वस्तु मानव जीवन को सुखद और विकासमान बनाने में सहायक होती है वह श्रद्धेय है। इसलिए उनमें दैवतत्व का निरूपण कर मनीषियों ने उनके परम महत्व का निरूपण किया है। उपनिषद में ऋषि कहते हैं कि ऐसा मानना चाहिए कि अन्न ही ब्रह्म है।

Uttarakhand

ऋषि संदेश देते हैं कि संसार में कोई भी भूखा न हो। पृथ्वी का कोई भी छोर बिन खेती का न हो। मनीषियों का आदेश है कि भूमि खाली न हो, उसे खेती करके कृतज्ञ करो। यजुर्वेद में स्पष्ट कहा गया है कि हम समस्त भूमि पर कृषि करें। कृषि से यदि हमें कम लाभ भी हो तो भी अधिक समझो, क्योंकि अन्न का उत्पादन जीवन का उत्पादन है। एक अन्य मंत्र में अन्न को धर्म का आशीष कहा गया है।
ऋषि कहते हैं कि हे धर्म! यह तुम्हारा पुष्टिकारक अन्न है। उसके द्वारा तुम वृद्धि को प्राप्त हो। तुम्हारी कृपा से हम भी वृद्धि को प्राप्त होते हुए पुष्ट हो जाएं। हमारे तत्वदर्शियों का दृष्टिकोण मानव-कल्याण की प्रखर भावना से आरंभ होता है। अन्न मानव की पहली आवश्यकता है, अत: उसके महत्व को ईश्वरीय साधना की भांति पवित्र और अनिवार्य माना गया है।
Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *