स्वामी कमलानंद (डा. कमल टावरी)
पूर्व सचिव, भारत सरकार
हमारे जीवन में कर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कर्म न केवल हमारे अच्छे और बुरे कृत्यों का परिणाम देते हैं, बल्कि हमारे जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं। हमारे कर्म हमारे भविष्य को निर्मित करते हैं।
शुभ अथवा अशुभ दो ही तरह के कार्य होते हैं। शुभ कार्य से पुण्य (अच्छे परिणाम) की व अशुभ कार्य से पाप (बुरे परिणाम) की सृष्टि होती है। कहा गया है कि शुभस्य शीघ्रम, अशुभस्य कालहरणम् अर्थात् अच्छे काम को जितना जल्दी हो सके कर डालें और बुरे काम को जितना भी टाल सकें, टालते रहें। समय गुजर जाने दें। यदि हम शुभ कार्य को जल्द नहीं करेंगे, तो हम उस क्षण को चूक जाएंगे, तो वापस नहीं आता। हम किसी नेक काम अथवा पुण्य अथवा उसके अच्छे परिणाम से वंचित अवश्य रह जाएंगे। किसी छूटे हुए नेक काम को करने का अवसर दोबारा नहीं मिलता। हम सबने अपने जीवन में अवश्य ही कई बार ऐसा अनुभव किया होगा कि अवसर खो देने के बाद हम उस अवसर की बाट जोहते रहते हैं, पर वह नहीं आता। इसीलिए शुभ कार्य आज ही नहीं, बल्कि अभी करना चाहिए। वहीं, यदि कोई अशुभ काम, खराब काम करने की इच्छा मन में उठे तो, देरी करते जाओ, कालहरण करो। समय को कट जाने दो, विलंब करो।
जाडे़ की रात है। और आपको एक भिखारी दिखाई देता है। उसके शरीर पर पूरे कपड़े नहीं है। उसको ठंडी से बहुत कष्ट हो रहा है। ऐसे में यदि आपके मन में इच्छा आती है कि उसको एक कपड़ा दे दें। देने के पहले अगर परिजनों से पूछोगे तो हो सकता है वह कह दें, ‘अरे ऐसे तो कितने आदमी आते रहते हैं। तुम कितनों को दान करते रहोगे?’ ‘हॉं, बात तो ठीक है। नहीं दूंगा।’ मन बदल गया। अत: अच्छा कर्म करने के पहले किसी से मत पूछो। तो ‘शुभस्य शीघ्रम’। शुभ कर्म जल्दी से जल्दी करो। किसी से मत पूछो। अच्छा कर्म है तो उसमें परमात्मा का आशीर्वाद है। तुम्हारी हार नहीं होगी। और ‘अशुभस्य कालहरण’। मान लो कुछ गलत करने की इच्छा हुई, तो उसमें देर करो। आज नहीं कल, कल नहीं परसों। बस ऐसा ही करते रहो। कभी इससे पूछो, कभी उससे पूछो। ऐसे में प्राय: लोग मना कर देंगे। मन भी शु्द्ध हो जाएगा और गलत काम करने से बच जाओगे।’
शुभ (अच्छे) काम शीघ्र करना और अशुभ (बुरे) काम न करने की जो शिक्षा हमारी आध्यात्मिक संस्कृति देती है, उसका तात्पर्य व्यक्ति को सकारात्मक बनाना है। क्योंकि सकारात्मक विचार ही व्यक्ति को अच्छे काम करने की प्रेरणा देते हैं।