आज देश भर में गोपाष्टमी मनाई जा रही है। पंचांग के मुताबिक, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। आज के दिन गौ माता, बछड़ों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि गोपाष्टमी के दिन पूरे मन से भक्ति के साथ पूजा पाठ करने से भक्तों को इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
गोपाष्टमी, भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। अतिप्रिय गाय की रक्षा तथा गोचारण करने के कारण भगवान श्री कृष्ण को ‘गोविन्द या गोपाल’ नाम से संबोधित किया जाता है। भगवान ने कार्तिक शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। इसी समय से अष्टमी को गोपोष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा।
कथा है कि बालक श्री कृष्ण आज से पहले केवल बछड़ों को चराने जाते थे और उन्हें अधिक दूर जाने की भी अनुमति नहीं थी।
इसी दिन बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से गायों की सेवा करनी की इच्छा व्यक्त की और कहा कि, माँ मुझे गाय चराने की अनुमति चाहिए। उनके अनुग्रह पर नन्द बाबा, और यशोदा मैया ने शांडिल्य ऋषि द्वारा अच्छा समय देखकर उन्हें भी गाय चराने ले जाने के लिए जो समय निकाला, वह गोपाष्टमी का शुभ दिन था। मैया ने भगवान को बहुत सुन्दर रूप से तैयार किया । उन्हें बड़े गोप-सखाओं जैसे वस्त्र पहनाये, सिर पर मोरमुकुट, पैरों में पैजनिया पहनाई। परंतु जब मैया उन्हें सुन्दर सी पादुका पहनाने लगी तो वे बोले यदि सभी गौओं और गोप-सखाओं को भी पादुकाएं पहनाएंगी तभी वे भी पहनेंगे। गोविन्द के इस प्रेम-पूर्ण व्यवहार से मैया का हृदय भर आया और वे भावविभोर हो गयीं। इसके पश्चात् बालक कृष्ण ने गायों की पूजा की तथा प्रदक्षिणा करते हुए साष्टांग प्रणाम किया और बिना पादुका पहने गोचारण के लिए निकल पड़े ।
गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गोसंवर्धन हेतु गौ पूजन का आयोजन किया जाता है। गौमाता पूजन कार्यक्रम में सभी लोग परिवार सहित उपस्थित होकर पूजा अर्चना करते हैं। इसके लिए दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल माला, गंगाजल इत्यादि वस्तुओं से इनकी पूजा की जाती है। महिलाएं गऊओं से पहले श्री कृष्ण की पूजा कर गऊओं को तिलक लगाती हैं। गायों को हरा चारा, गुड़ इत्यादि खिलाया जाता है तथा सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। बाद में सभी को प्रसाद वितरण किया जाता है। सभी लोगों को गौ माता का पूजन कर उसके वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व को समझ गौ रक्षा व गौ संवर्धन का संकल्प करते हैं।
आज 20 नवंबर, सोमवार का पंचांग
आज कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है, जबकि दिन सोमवार है। आज गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी, भद्रा, पंचक, आडल योग।
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20 नवंबर से जुड़ा इतिहास
1750 – दक्षिण भारत में स्थित मैसूर साम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान रॉकेट तोपखाने के अग्रणी थे। टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर 1750 को हुआ था।
1885 – श्री शिल्पी सिद्धांती सिद्धलिंग स्वामी, मैसूर राज्य के शाही गुरु और मैसूर के महाराजा जयचामाराजेंद्र वाडियार के निजी गुरु थे। जिनका जन्म 20 नवंबर 1885 को हुआ था।
1910 – मद्रास कंदस्वामी राधाकृष्णन एक भारतीय अभिनेता थे, जिन्होंने मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में काम किया। इनका जन्म 20 नवंबर 1910 को हुआ था।
1950 – बॉलीवुड, मराठी और असमिया फिल्मों के साथ-साथ टेलीविजन की भारतीय अभिनेत्री सुहासिनी मुले का जन्म 20 नवंबर 1950 को हुआ था।
1955 – भारतीय राजनेता पंडालम सुधाकरन जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से संबंधित हैं। इनका जन्म 20 नवंबर 1955 को हुआ था।
1955 – कृपाल सिंह ने 20 नवंबर 1955 को भारत बनाम न्यूजीलैंड टेस्ट क्रिकेट डेब्यू पर 100 रन बनाए।
1969 – भारतीय अभिनेत्री और पूर्व फोटो मॉडल शिल्पा शिरोडकर, जिन्होंने हिंदी भाषा की फिल्मों में काम किया। इनका जन्म 20 नवंबर 1969 को हुआ था।
1976 – भारतीय अभिनेता और निर्माता तुषार कपूर जो हिंदी फिल्मों में काम करते हैं। इनका जन्म 20 नवंबर 1976 को हुआ था।
1986 – विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एड्स से निपटने के लिए 20 नवंबर 1986 को पहले वैश्विक प्रयास की घोषणा की थी।
1987 – भारतीय टेलीविज़न अभिनेत्री सुकीर्ति कांडपाल, जिन्हें प्यार की ये एक कहानी में पिया की भूमिका के लिए जाना जाता है। इनका जन्म 20 नवंबर 1987 को हुआ था।
1989 – भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री साई धनशिका, जो मुख्य रूप से तमिल फ़िल्मों में दिखाई देती हैं। इनका जन्म 20 नवंबर 1989 को हुआ था।
1989 – हीराबाई बड़ोदेकर किराना घराने की भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका थीं। जिनका निधन 20 नवंबर 1989 को हुआ था।
2010 – संता देवी एक भारतीय मलयालम फ़िल्म और रंगमंच अभिनेत्री थीं। जिनकी मृत्यु 20 नवंबर 2010 को हुई थी।