सुप्रभातम्: समय को अच्छा और बुरा हमारे कर्म बनाते हैं

हिमशिखर धर्म डस्क

Uttarakhand

स्वर्णिम समय सबके जीवन में अवश्य आता है आवश्यकता है उसे पहचानने एवं उसके नियोजन करने की। समय न तो अच्छा होता है और न ही बुरा, वह तो बस समय है। समय को अच्छा और बुरा स्वयं हमारे कर्म बना देते हैं। जो उचित समय पर समय को पहचान लेता है और उसके अनुसार पुरुषार्थ करता है वह कभी असफल नहीं होता, सफलता सदैव उसके कदम चूमती है।

सफलता और असफलता का रहस्य संकल्प के साथ किये जाने वाले पुरुषार्थ में निहित है। समय की अनुकूलता के साथ किया जाने वाला प्रत्येक कार्य सफलता का द्योतक है। उचित समय में किये गये कार्य की सफलता कभी भी संदिग्ध नहीं होती और अनुचित समय में किये गये कार्य की सफलता सदैव संदिग्ध ही होती है। इसीलिए आवश्यक है कि समय की पहचान करके उसके अनुरूप ही कार्य किया जाय।

जीवन का प्रत्येक क्षण अपने आप में बहुमूल्य है।कोई भी क्षण ऐसा नहीं जो कि व्यर्थ हो, क्योंकि हर क्षण अपने साथ एक अनूठा अवसर लेकर आता है। इस अवसर का यदि सदुपयोग कर लिया जाय तो जीवन की कई नई राहें खुल जाती हैं, और यदि यह फिसल गया तो बहुत कुछ खोना पड़ता है। जीवन का प्रत्येक क्षण बेशकीमती है, इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है।क्षण में जीवन है और क्षण में मृत्यु। क्षण में ही सफलता और असफलता का रहस्य समाहित है।

हम अपने सामान्य जीवन में भी महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं।इसके लिए हमें समय प्रबंधन की आवश्यकता है। समय के साथ साहचर्य करते हुए समय के साथ कार्य की प्राथमिकता निर्धारित करनी हितकर होती है। इसी में जीवन की सच्ची सार्थकता है।

आज अपने प्रभु से बुद्धि विवेक और सन्मार्ग, देते रहने की अनुनय प्रार्थना के साथ।

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