सुप्रभातम्: जानें पूजा स्थल पर क्यों नहीं रखते मृत पूर्वजों के चित्र?

दादा-दादी, माता-पिता आदि जो इस दुनिया से जा चुके हैं, वह पितर या पूर्वज कहलाए जाते हैं। इनके चले जाने के बाद केवल इनकी यादें रह जाती हैं, जिनका दिल से गहरा नाता होता है। ज्यादातर लोग पूर्वजों की तस्वीर को पूजा घर में रखकर पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करना गलत बताया है। पूर्वज देवताओं के समान होते हैं लेकिन देवताओं के स्थान पर इनकी तस्वीरों को नहीं रखना चाहिए, ऐसा करने से देवता नाराज होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्वजों की तस्वीरों को घर में जरूर रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है लेकिन उसके लिए कुछ नियम होते हैं, जिनसे आप पूर्वजों और देवताओं की कृपा पा सकते हैं…

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हिमशिखर धर्म डेस्क

सनातन हिन्दू धर्म में आस्था का बहुत ही ख़ास महत्व है, यहाँ लोग प्रत्येक दिन की पूजा को जरूरी एवं महत्वपूर्ण मानते है। ऐसा विश्वास है की हर रोज करने से भगवान प्रसन्न होते है, तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही ऐसा करने से मन को शांति प्राप्त होती है।

भगवान की पूजा में उचित एवं उत्तम समानो को प्रयोग में लाना इसका भी ध्यान रखा जाता है तथा इसके बाद यदि पूजा के लिए कोई महत्वपूर्ण चीज़ होती है तो वह है ऐसा स्थान जहा पर भगवान की पूजा करी जाती है। जैसे की मंदिर या हमारे घरों में ही बनाए गए भगवान की पूजा के लिए स्थल ।

घर के मंदिर में रोज़ाना परिवार-जन एकत्रित होकर पूजा करना सही मानते हैं और अंत में भगवान को भोग लगाकर सभी में बांटा भी जाता है। हिन्दू घरों में पूजा घर को हमेशा साफ एवं सुगंधित बनाए रखने के प्रयास किए जाते हैं।

लेकिन इसके अलावा भी ऐसी कई बातें हैं जिनसे अनजान हैं लोग। पूजा घर को सजाने के लिए वे हर प्रकार की वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, जो उनके हिसाब से तो सही होती हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार वे अशुभ हैं। हिन्दू परिवारों के अमूमन पूजा घरों में आप भगवान की मूर्तियों के अलावा कुछ तस्वीरें भी पाएंगे।

ये तस्वीरें देवी-देवता की भी होती हैं। लेकिन इसके अलावा कुछ लोग अपने स्वर्गवासी पूर्वज या फिर परिजनों की तस्वीर भी पूजा घर में लगाते हैं।

ऐसा कभी ना करें…. शास्त्रों एक अनुसार कभी भी पूजा घर में स्वर्गवासी हो चुके व्यक्ति की कोई भी वस्तु या तस्वीर तो बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए।

लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए। ना केवल पूजा घर में अन्य मूर्तियों के साथ मृत परिजनों की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं। शास्त्रों में पितर और देवताओं के स्थान अलग-अलग बताए गए हैं क्योंकि पितर देवताओं के समान ही समर्थवान और आदरणीय हैं। लेकिन एक जगह दोनों को रखने से किसी के आशीर्वाद का शुभ फल नहीं प्राप्त होता है।

मृत परिजनों की तस्वीरों को लगाने के लिए घर की दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम दिशा ही चुनी जानी चाहिए। यदि इसके अलावा किसी अन्य दिशा में मृत परिजनों की तस्वीर लगाई जाए तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को लेकर आता है। जो सबसे पहले परिवार के लोगों की मानसिक अवस्था पर अटैक करता है।

लेकिन फिर भी यदि कोई मन से परिवार के किसी सदस्य की तस्वीर पूजा घर में रखना भी चाहे, तो उसे भगवान की मूर्ति या तस्वीर से नीच रखें। देवी-देवता की तस्वीर के बिलकुल बराबर ना रखें। किंतु यह केवल मान्यता है, वास्तु शास्त्र के अनुसार तो पूजा घर में मृत परिजनों की तस्वीर रखनी ही नहीं चाहिए।

दिशा में तस्वीर लगाना उत्तम

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वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों की तस्वीरों को हमेशा उत्तर की दिवारों पर लगाएं ताकि उनकी दृष्टि दक्षिण की ओर रहे। दक्षिण दिशा को यम और पितरों की दिशा माना गया है, इससे अकाल मृत्यु और संकट से बचाव होता है। साथ ही आप उत्तरी हिस्से के कमरों में, ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) या फिर ऐसे स्थान पर तस्वीर लगाएं जो दिशादोष से मुक्त हो।

इस तरह न रखें पितरों की तस्वीर

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पितरों की तस्वीर को कभी भी लटकाकर नहीं रखना चाहिए। इनकी तस्वीरों को रखने के लिए अलग से एक लकड़ी स्टैंड बनवा लेना चाहिए। ध्यान रहे कि कभी पूर्वजों की एक अधिक तस्वीर नहीं होनी चाहिए और उन पर कभी अतिथि की नजर न पड़े। ऐसा करने से घर में नकारात्मकता आती है।

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