सावन का महीना शिव भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता है। इस महीने में प्रत्येक दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, सावन सोमवार पर भोलेनाथ और जगत जननी आदिशक्ति की विशेष पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव के जलाभिषेक हेतु लंबी कतार लग जाती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर पर पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए आते हैं। कुल मिलाकर कहें तो सावन सोमवार पर वातावरण शिवमय हो जाता है।
हिमशिखर धर्म डेस्क
हिंदू सनातन धर्म में सावन माह का खास महत्व होता है, जोकि भगवान शिवजी की पूजा-उपासना, व्रत, उपाय आदि के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि सावन महीने में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ धरती पर विचरण करते हैं। इसलिए इस दौरान किए पूजा-पाठ से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किसी भी तरह के खास विशेष पूजन की आवश्यकता नहीं होती। क्योंकि कहा जाता है कि वह तो भोले हैं और भक्त की क्षणिक मात्र की भक्ति से ही वह प्रसन्न हो जाते हैं। आज सावन का तीसरा सोमवार है। भगवान शिव ने ब्रह्माजी के पुत्र सनत्कुमार को सोमवार का महत्व बताया है।
भगवान शिव का ही स्वरूप है सोमवार
सनत्कुमार के पू़छने पर भगवान शिव ने बताया कि सोमवार मेरा ही स्वरूप है। इसलिए इसे सोम कहा गया है। सोमवार सभी श्रेष्ठ व्रतों में एक है। इस दिन व्रत करने से हर तरह का सुख मिलता है। 12 महीनों में सोमवार का व्रत र्श्रेष्ठ है। अगर किसी भी महीने में सोमवार का व्रत नहीं कर पाए तो सावन सोमवार को व्रत जरूर करना चाहिए। इससे सालभर के सभी सोमवार के व्रत का फल मिल जाता है।
सावन सोमवार को शिव पूजा का महत्व
पंडित उदय शंकर भट्ट ने बताया कि सोमवार को भी भगवान शंकर की पूजा करने से हर तरह का पुण्य मिलता है। सोमवार को उपवास करके संयम के साथ वैदिक या लौकिक मंत्रों से विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ब्रह्मचारी, गृहस्थ, कन्या या सुहागिन स्त्री कोई भी भगवान शिव की पूजा करके मनोवांछित फल मिल सकता है। सावन महीने के सोमवार को रुद्राभिषेक करके ब्राह्मण भोजन और वस्त्र, दक्षिणा दान करने से सुख और संपत्ति बढ़ जाती है।
सावन सोमवार को पूजा का समय
सोमवार को शिवजी की पूजा सुबह और शाम यानी दोनों समय करनी चाहिए। लेकिन सावन सोमवार के व्रत में पूजा का सबसे अच्छा समय शाम को यानी प्रदोष काल है। भगवान शिव ने ही ये समय बताया है। इसका जिक्र स्कन्दपुराण में हुआ है।
प्रदोष काल में शिव पूजा का पूरा फल
शाम को सूर्यास्त के बाद शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व है। क्योंकि सूरज डूबते समय प्रदोष काल शुरू हो जाता है और रात शुरू होने तक ये समय रहता है। इस तरह दिन और रात के बीच का समय जो तकरीबन 2 घंटे का माना गया है। शिव महापुराण में बताया गया है कि इस वक्त शिवजी प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। इसलिए प्रदोष काल में विशेष पूजा से भगवान जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।
सावन सोमवार की विशेष पूजा
शिव मंदिर में जाकर दीपक और धूपबत्ती लगाएं। घर पर भी पूजा कर सकते हैं। पानी में गंगाजल और कच्चा दूध (बिना गर्म किया हुआ) मिला लें। फिर शिवजी पर चढ़ा दें। जल चढ़ाते वक्त ऊं नम: शिवाय मंत्र बोलें। इसके बाद भगवान को चंदन लगाएं। फिर बिल्वपत्र, धतूरा और मदार के फूल चढ़ाएं। इनके साथ ही जो भी पूजा सामग्री उपलब्ध हो, सब भगवान पर चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। फिर भगवान को मिठाई का प्रसाद चढ़ाकर बांट दें।