सुप्रभातम् : सेवा भाव इंसान को सरल, सौम्य और सुखी बनाता है

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

एक बहुत धनवान महिला थी, उसका एक ही बेटा था। किसी बीमारी की वजह से महिला के बेटे की मृत्यु हो गई थी। बेटे की मृत्यु के बाद वह बहुत निराश हो गई थी।

महिला कई लोगों के पास जाती और पूछती थी कि मेरे जीवन में दोबारा खुशियां कैसे आ सकती हैं। मैं आनंद में जीना चाहती हूं। कई लोगों ने महिला से कहा कि आप स्वामी रामतीर्थ के पास जाइए। एक वे ही हैं जो आपको आनंद प्राप्ति का रास्ता बता सकते हैं।

धनवान महिला स्वामी रामतीर्थ के पास पहुंची और अपनी परेशानियां बताईं। स्वामी रामतीर्थ ने कहा, ‘इस संसार में हर बात का, हर चीज का एक मूल्य होता है। आपको भी खुशियां मिल सकती हैं, लेकिन खुशियों के लिए आपको कुछ मूल्य अदा करना होगा।’

महिला बोली, ‘मेरे पास धन की कोई कमी नहीं है। आप जितना चाहें, मैं उतना धन देने को तैयार हूं।’

रामतीर्थ ने कहा, ‘आप खुशियां पाना चाहती हैं, आनंद की दुनिया में उतरना चाहती हैं तो वहां इस धन-संपत्ति का कोई मूल्य नहीं है। वहां कुछ अनूठे निर्णय लेने पड़ते हैं।’

महिला ने कहा, ‘मैं भी ऐसे निर्णय ले लूंगी।’

रामतीर्थ ने वहां खड़े एक अनाथ बच्चे को बुलाया और कहा, ‘इस बच्चे को मैं जानता हूं, इसके माता-पिता नहीं हैं। पता नहीं ये बड़ा होकर क्या बनेगा? मैं आपको ये बच्चा सौंपता हूं, आप इसे गोद ले लीजिए और इसका पालन कीजिए।’

महिला ने कहा, ‘ये तो संभव नहीं है।’

रामतीर्थ बोले, ‘तो फिर आपके जीवन में खुशियां आना भी संभव नहीं है। अगर खुशी पाना चाहती हों तो इंसानों की सेवा करें।’

सीख- कोई दुखी, परेशान व्यक्ति दिख जाए तो उसकी मदद जरूर करनी चाहिए। ऐसे लोगों की मदद करने से हमें भी सुख मिल सकता है। आनंद शर्तों के साथ नहीं मिलता, आनंद संवेदनाओं के साथ मिलता है।

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