20 वीं सदी के महान विचारक तथा आध्यात्मिक गुरु ओशो अपनी कहानियों के माध्यम से लोगों को अपनी बातें समझाते थे। उनकी कहानियां बड़ी ही रोचक लगती हैं। उनकी कहानियों के खजाने में से एक प्रेरणादायक कहानी पढ़ते हैं।
हिमशिखर धर्म डेस्क
ओशो
राजमहल के निकट से कुछ बच्चे खेलते हुए निकले। एक बच्चे ने पत्थर उठा लिया और महल की खिड़की की तरफ फेंका। वह पत्थर ऊपर उठने लगा। उस पत्थर की जिंदगी में यह नया अनुभव था। यह अभूतपूर्व घटना थी, पत्थर का ऊपर उठना। पत्थर फूलकर दोगुना हो गया जैसे कोई आदमी उदयपुर से फेंक दिया जाए और दिल्ली की तरफ उड़ने लगे, तो फूलकर दोगुना हो जाए।
नीचे पड़े हुए पत्थर आंखें फाड़कर देखने लगे। वे सब जयजयकार करने लगे। उनके वंश में ऐसा अद्भुत पत्थर पैदा हो गया, जो ऊपर उठ रहा है। पत्थरों के पत्रकारों ने फ्रंट पर उस पत्थर की खबर छापी। उस पत्थर ने नीचे अपने पत्थर मित्रों से कहा- घबराओं मत, मैं थोड़ा आकाश की यात्रा को जा रहा हूं। लौटकर बताऊंगा हाल। वैसे यह तुम्हारे भाग्य में नहीं था और तुम इतने समझदार भी नहीं हो।
वह पत्थर महल की कांच की खिड़की से टकराया। तब पत्थर ने कहा- ”कितनी बार मैंने कहा कि मेरे रास्ते में कोई न आए, नहीं तो चकनाचूर हो जाएगा।’ वह पत्थर गिरा महल के कालीन पर। कालीन पर गिरकर उसने ठंडी सांस ली और कहा- ‘धन्य है ये लोग। क्या मेरे पहुंचने की खबर पहले ही पहुंच गई, तभी तो कालीन पहले ही बिछाकर रखा है।’
तभी राजमहल के नौकर को सुनाई कांच के टूट जाने की आवाज। वह भागा हुआ आया और उसने उठाया उस पत्थर को हाथ में। पत्थर का हृदय गदगद हो उठा। उसने सोचा कुछ आतिथ्य सत्कार होगा। लेकिन नौकर ने पत्थर को वापस नीचे फेंक दिया। तो उस पत्थर ने मन में कहा- ‘वापस लौट चलें, घर की बहुत याद आती है। अब बहुत हो गया।’
वह नीचे गिरा पुन: वहीं, जहां उसे फूल मालाएं पहनाई गई। उन पत्थरों ने पूछा कि हमें अपने अनुभव बताएं, कैसे रहा ऊपर का सफर?
उसने कहा- मैंने यह किया, वह किया, मेरा भव्य स्वागत हुआ। मैंने अपने रास्ते में आए सभी शत्रुओं को मार दिया। उस पत्थर ने दो की चार लगाई।… अब वह पत्थर अपनी आत्मकथा लिख रहा है।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि जब व्यक्ति सफलता की ऊंचाईयां छूता है तो वह समझता है कि मैं खुद के दम पर सफल हुआ हूं और जब वह नीचे गिरता है तो उसकी मुलाकात उन्हीं लोगों से होती है जिन्हें वह हिकारत की दृष्टि से देखता था। अत: अपनी सफलता का घमंड ना करें, क्योंकि सभी कुछ ऊपर वाले की कृपा से होता है। एक न एक दिन व्यक्ति को नीचे आने ही होता है। कई लोगों को अपने महान होने का मुगालता रहता है।