सुप्रभातम्: वैशाख के पवित्र महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने और पानी की मटकी दान देने की परंपरा

पानी पिलाना और भोजन कराना वैसे भी बेहद ही पुण्य का काम माना जाता है। ऐसे में वैशाख के महीने में जब गर्मी काफी ज्यादा होती है इस दौरान प्यास काफी अधिक लगती है। ऐसे में आप चाहे तो देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने और पुण्य कमाने के लिए इस दौरान प्यासे को पानी अवश्य पिलाएं। आप चाहे तो अपने घर के बाहर या अपनी दुकान के बाहर या जहां भी मुमकिन हो वहां प्याऊ लगवा दें। कहा जाता है वैशाख के महीने में जो कोई भी व्यक्ति प्यासे को पानी पिलाता है उसे बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। 

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हिमशिखर धर्म डेस्क

वैशाख के समान कोई मास नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है। वैशाख मास अपने कतिपय वैशिष्ट्य के कारण उत्तम मास है, जो इस वर्ष कल शुक्रवार 14 अप्रैल से प्रारम्भ हो रहा है। वैशाख मास को ब्रह्मा जी ने सब मासों में उत्तम सिद्ध किया है। वह माता की भाँति सब जीवों को सदा अभीष्ट वस्तु प्रदान करने वाला है। धर्म, यज्ञ, क्रिया, तपस्या का सार है। सम्पूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है। जैसे विद्याओं में वेद-विद्या, मन्त्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगा जी, तेजों में सूर्य उत्तम है, उसी प्रकार धर्म के साधनभूत महीनों में वैशाख मास सबसे उत्तम है।

जल दान से मिता है सभी तीर्थों का फल

वैशाख उत्तम महीना है और शेषशायी भगवान विष्णु को हमेशा से प्रिय है। स्कंद पुराण के अनुसार इस माह में जल दान का सर्वाधिक महत्व है, जो पुण्य सब दानों से मिलता है और जो फल सब तीर्थों के दर्शन से प्राप्त होता है, उसी पुण्य और फल की प्राप्ति वैशाख मास में सिर्फ जल का दान करने से हो जाती है। यह समस्त दानों से बढ़कर अधिक लाभ पहुंचाने वाला है एवं जल के दान से त्रिदेव की कृपा मिलती है। जो व्यक्ति महात्माओं, थके और प्यासे व्यक्तियों को स्नेह के साथ शीतल जल पिलाता है, उसे उतनी ही मात्रा से दस हजार राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है।

प्याऊ लगवाना

जो  वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है। प्याऊ देवताओं, पितरों और ऋषि-मुनियों को अत्यंत प्रिय है। जो प्याऊ लगाकर थके हुए यात्रियों की प्यास बुझाने में उनकी सहायता करता है, उस पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव सहित समस्त देवतागण प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

पंखा दान करना

धूप और परिश्रम से पीड़ित ब्राह्मण को जो पंखे से हवाकर शीतलता प्रदान करता है, वह  इतने ही मात्र से निष्पाप होकर भगवान का पार्षद हो जाता है। जो राह में थके हुए श्रेष्ठ द्विज को वस्त्र से भी हवा करता है, वह भगवान विष्णु का सामिप्य प्राप्त कर लेता है। जो इस मास में ताड़ का पंखा दान करता है, वह पापों का नाश करके ब्रह्मलोक को जाता है।

अन्न दान

अन्नदान मनुष्यों को शीघ्र ही पुण्य प्रदान करने वाला होता है, इसलिए संसार में अन्न के समान दूसरा कोई दान नहीं है। दोपहर में आए हुए ब्राह्मण मेहमान को या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाएं तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

पादुका एवं चटाई

शास्त्र कहते हैं कि जो विष्णुप्रिय वैशाख मास में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता हैं, वह यमदूतों का तिरिस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है।निद्रा से दुःख का नाश होता है, निद्रा से थकावट दूर होती है इसलिए जो मनुष्य तिनके या खजूर आदि के पत्तों से बनी हुई चटाई दान करता है, उसके दुखों का नाश हो जाता है और परलोक में उत्तम गति को पाता है।

वस्त्र, फल और शर्बत

जो वैशाख मास में पहनने के लिए कपड़ों का दान करता है वह इसी जन्म में सुखों से संपन्न हो जाता है इसी प्रकार जो इस गर्मी के महीने में फल और शर्बत का दान देता है उससे उसके पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते है और दान देने वाले के पाप कट जाते हैं। दही, खांड और चावल दान करने से मनुष्य को पूर्ण आयु और सम्पूर्ण यज्ञों का फल प्राप्त होता है। इसी प्रकार घी का दान करने वाला मनुष्य अश्वमेघ यज्ञ का फल पाकर विष्णुलोक में आनंद का अनुभव करता है।

One thought on “सुप्रभातम्: वैशाख के पवित्र महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने और पानी की मटकी दान देने की परंपरा

  1. वैशाख के पावन महीने में प्याऊ लगाकर जल के अलावा फल, शर्वत, अन्न, वस्त्र, पादुका, चटाई, पँखा आदि दान करके पुण्य पाने की जानकारी हितकारी है।

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