सुप्रभातम्: जन्म-मृत्यु को समझें और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीना सीखें

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीलाएं समेटकर इस संसार से अपने लोक जाने की तैयारी कर रहे थे। श्रीकृष्ण जो भी काम करते थे, वह बहुत ही योजनाबद्ध ढंग से करते थे।

श्रीकृष्ण ने यदुवंश के सभी लोगों से कहा कि आप सभी प्रभाष क्षेत्र चले जाएं। सभी लोग श्रीकृष्ण के आदेश पर अपनी यात्रा की तैयारी में लग गए थे। उस समय श्रीकृष्ण के प्रिय उद्धव जी वहां पहुंचे। उद्धव जी रिश्ते में श्रीकृष्ण के भाई थे और वे बहुत ही विद्वान थे। उद्धव श्रीकृष्ण की तरह दिखाई देते थे।

उद्धव जी ने देखा कि यदुवंशी किस बात की तैयारी कर रहे हैं? उन्हें मालूम हुआ कि ये श्रीकृष्ण का आदेश है कि समय पूरा हो गया है, अब यहां से जाना है। उद्धव जी श्रीकृष्ण के पास गए और बोले, ‘मैं समझ गया हूं कि आप यदुवंश का संहार करके, इसे समेट कर इस लोक का परित्याग कर देंगे। अब आप चले जाएंगे। मेरा एक निवेदन है कि मुझे अपने साथ अपने धाम ले चलिए। मैंने आपके साथ लंबा समय बिताया है। हम पूरे जीवन हर पल साथ रहें हैं। मेरी हर एक इच्छा आपसे जुड़ी है। ऐसी स्थिति में आप मुझे छोड़कर कैसे जा सकते हैं? आप छोड़िए मत, मुझे अपने साथ ले चलिए।’

श्रीकृष्ण ने उद्धव जी का हाथ पकड़ा और कहा, ‘क्या तुम इस दुनिया में मेरे साथ आए थे, जो तुम मेरे साथ जाओगे। इस दुनिया में सभी अकेले आते हैं और अकेले ही जाते हैं। मैं मेरा ज्ञान तुम्हें दूंगा और तुम्हारे माध्यम से इस संसार को ये ज्ञान मिलेगा। लोग मेरे ज्ञान को और मेरी लीलाओं के पीछे के संदेश को समझेंगे।’

सीख

हमारे घर-परिवार में जब कोई व्यक्ति इस संसार को छोड़कर जाता है तो हमें दुख होता है, लेकिन श्रीकृष्ण ने हमें बताया है कि जो आया है, वह एक दिन जरूर जाएगा। जिसे जन्म मिला है, उसकी मृत्यु भी जरूर होगी। इसलिए जन्म-मृत्यु को समझें और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीना चाहिए। घर-परिवार के जो लोग ये संसार छोड़कर गए हैं, उनके अच्छी बातें और ज्ञान को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *