सुप्रभातम्: इस हँसी का रहस्य क्या है?

हिमशिखर धर्म डेस्क

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एक बार राजा भोज की पत्नी भोज को स्नान करा रही थी दोनों आनन्द का अनुभव कर रहे थे। भोज बार बार अपनी पत्नी से आग्रह करते कि पानी और डालो इस पर उनकी पत्नी जोर जोर से हंसने लगी। राजा ने पूछा कि तुम क्यों हंस रही हो इस पर उसने कहा कि ये बताने की बात नहीं है।

लेकिन राजा अड गया कि तुम्हें बताना होगा। तब उसने कहा कि ये बात तुम्हें मैं नहीं मेरी बहन बतायेगी उल्लेखनीय है कि भोज की पत्नी उस ज्ञान को जानती थी जिसको पूर्वजन्म का ज्ञान था।

उसकी बहन भी इस ज्ञान को जानती थी पर क्योंकि इस ज्ञान का संसार के नातों से कोई सम्बन्ध नहीं होता इसलिये कितना भी सगा हो उसे ये ज्ञान नहीं बताते। बताने पर ये ज्ञान नियम विरुद्ध हो जाने से चला जाता है।

राजा भोज अपनी भारी जिग्यासा के चलते अपनी साली के घर पहुँचा। वहाँ उस वक्त कोई कार्यक्रम चल रहा था। अतः राजा बात न पूछ सका फ़िर फ़ुरसत मिलते ही राजा ने वह प्रश्न अपनी साली से कर दिया। तब उसने कहा कि तुम्हारी बहन ने कहा है कि बार बार पानी डालने की बात पर हंसने का रहस्य मेरी बहन बतायेगी..तब राजा की साली ने कहा कि आज आधी रात को बच्चे को जन्म देते ही मेरी मृत्यु हो जायेगी। इसके अठारह साल बाद मेरे पुत्र जिसका आज जन्म होगा उसकी पत्नी तुम्हें ये राज बतायेगी।

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राजा ने बहुत हठ किया पर इससे ज्यादा बताने से उसने इंकार कर दिया। ठीक वैसा ही हुआ पुत्र को जन्म देकर भोज की साली मर गयी..राजा ने अठारह साल तक बेसब्री से इंतजार किया और फ़िर वो दिन आ ही गया जब उस पुत्र का विवाह हुआ राजा उसी बात का इंतजार कर रहा था सो जैसे ही उसे वधू से मिलने का मौका मिला। उसने कहा मैं अठारह साल से इस समय का इंतजार कर रहा हूँ….और भोज ने पूरीबात बता दी।

वधू ने कहा कि पहले तो आप ये बात न ही पूछो तो बेहतर है और अगर पूछते ही हो तो मेरे पति से कभी इसका जिक्र न करना..अन्यथा वो पति धर्म से विमुख हो जायेगा और इससे विधान में खलल पङेगा..राजा मान गया।

तब उस वधू ने कहा कि आज जो मेरा पति है अठारह साल पहले इसे मैंने ही जन्म दिया था …तुम्हारी पत्नी इस लिये हंस रही थी कि इससे पहले के जन्म में जब तुम उसके पुत्र थे वह तुम्हें बाल अवस्था में नहलाने के लिये पकङती थी, तब तुम नहाने से बचने के लिये बार बार भागते थे..और आज स्वयं तुम पानी डालने को कह रहे थे..इसलिये उस जन्म की बात याद कर वो हस रही थी ..उसने या मैंने उसी समय तुम्हें ये बात इसलिये नहीं बतायी कि वैसी अवस्था में तुम उसे पत्नी मानने के धर्म से विमुख हो सकते थे।

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यह बात सुनते ही राजा में गहरा वैराग्य जाग्रत हो गया। यही प्रभु की अजीव लीला है।

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