सुप्रभातम् : भगवान विष्णु के सभी अवतार भारत में ही क्यों जन्म लेते हैं?

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सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु के 10 प्रमुख अवतार माने गए हैं। जो सनातन धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के दशावतार के नाम से प्रसिद्ध है। शास्त्रों के अनुसार, धरती पर बढ़ते पापों को खत्म करने के लिए भगवान खुद संसार में अवतार के रूप में प्रकट होते हैं। अब तक भगवान विष्णु के नौ अवतार हो चुके हैं। कल्कि पुराण के अनुसार श्री हरि का ‘कल्कि’ अवतार कलियुग के अंत में होगा। इस संबंध में एक प्रश्न कई बार हमारे मन में आता है कि ऐसा क्या कारण है कि समस्त विश्व के स्वामी भगवान विष्णु के सभी अवतार भारत में ही होते हैं, अन्य देशों में क्यों नहीं? आइए! जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है?


गीता  में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युथानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

अर्थात् जब-जब धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म बढ़ने लगता है, तब-तब मैं स्वयं की रचना करता हूं। मानव की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की पुनः स्थापना के लिए मैं अलग-अलग युगों (कालों) में अवतरित होता हूं।

विष्णुपुराण के २/३/२४ सर्ग में लिखा है कि ‘भारत की भूमि अत्यंत भाग्यशाली है क्यूंकि भगवान विष्णु के सभी अवतार इसी भूभाग में होंगे।’ यही कारण है कि भारत वर्ष को ‘देवभूमि’ भी कहा जाता है क्यूंकि इस पावन भूमि पर देवता भी अवतरित होने के लिए लालायित रहते हैं। विष्णु पुराण में एक श्लोक आता है :

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गायन्ति देवाः किल गीतिकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे।
स्वर्गापवर्गास्पद मार्गभूते, भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।।

अर्थात : देवता भी स्वर्ग में यह गान करते हैं कि धन्य हैं वे लोग जो भारत-भूमि के किसी भाग में उत्पन्न हुए। वह भूमि स्वर्ग से बढ़कर है क्योंकि वहां स्वर्ग के अतिरिक्त मोक्ष की साधना की जा सकती हैं। स्वर्ग में देवत्व भोग लेने के बाद देव मोक्ष की साधना के लिए कर्मभूमि भारत में फिर जन्म लेते हैं।

वहीं, इसको दूसरे नजरिए से देखें तो विश्व का हृदय स्थल ‘भारत भूमि’ को कहा जाता है। जिस प्रकार भगवान सूर्यदेव अपनी निश्चित धुरी पर ही घूमते हैं, लेकिन उनका प्रकाश पूरी सृष्टि को बराबर मिलता है। वहीं जब हम कोई वृत्त बनाते हैं, तो किसी निश्चित स्थान को केंद्र बनाकर गोला बनाते हैं। ठीक इसी प्रकार विश्व में भारत की संरचना इस प्रकार से हुई है कि भारत विश्व का हृदय स्थल है। ऐसे में जब भारत भूमि में भगवान का अवतार होता है, तो ऐसा नहीं है कि उसका लाभ केवल एक देश को न होकर पूरे संसार को मिलता हे।

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यही कारण है कि भगवान विष्णु के सभी अवतार इस महान भारत भूमि पर ही होते हैं। अतः स्वयं पर गर्व करें और स्वयं को भाग्यशाली मानें कि आपने जम्बूद्वीप के आर्यावर्त के भारत वर्ष में जन्म लिया है जहाँ जन्म लेने हेतु स्वयं देवता भी कठिन तपस्या करते हैं। ये अपने पिछले जन्मों के पुण्यों का ही प्रभाव मानें कि आपने भारत की पवित्र भूमि पर जन्म लिया है।

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