स्वामी रामतीर्थ ने व्यावहारिक वेदांत के माध्यम से राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का किया प्रयास : प्रो. बौड़ाई

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

चंबा (टिहरी)। विश्वभर में भारतीय संस्कृति की पताका फहराने वाले परमहंस स्वामी रामतीर्थ महाराज के 116वें निर्वाण दिवस पर वेदांत सम्मेलन का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ ने व्यावहारिक वेदांत के माध्यम से राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया।

स्वामी रामतीर्थ सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ एनएसएस छात्रों ने आदि गुरु शंकराचार्य कृत श्रीगुरु अष्टकम के गान के साथ हुआ। परिसर निदेशक प्रो एए बौड़ाई ने कहा कि अमेरिका, मिस्र, जापान सहित कई देशों में वेदांत का प्रचार करने वाले स्वामी रामतीर्थ ने 17 अक्टूबर 1906 को पुरानी टिहरी में मां गंगा की गोद में अपने शरीर को समर्पित कर दिया था। कहा कि स्वामी रामतीर्थ के अनुसार आज हमें धर्म और दर्शनशास्त्र भौतिक विज्ञान की भांति पढ़ना चाहिए। आज के समय में देश को एकता और विज्ञान साधना की बहुत आवश्यकता है।

दरबार ट्रस्ट के ठाकुर भवानी प्रताप सिंह ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ भारत ही नहीं, बल्कि विश्व की महानतम विभूति थे। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो एमएस नेगी, गणित विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. केएस रावत और एनएसएस के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डाॅ एलआर डंगवाल ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ का लक्ष्य अंधकार के गर्त में पड़े हुए भारत को नई दिशा की ओर ले जाना था। सच्चे अर्थों में भारत का उद्धार उनके बताए हुए मार्ग का अनुशीलन करने से हो सकता है। कहा कि स्वामी रामतीर्थ के जीवन का प्रत्येक पक्ष आदर्शमय था। आज के समय में देश को वेदांत, एकता, संगठन, राष्ट्रधर्म और विज्ञान साधना की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों को स्वामी रामतीर्थ के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का आहवान किया।

एनएसएस के छात्र आयुष वर्मा और टीम के ईशा कोठारी, अनीसा सजवाण, आएसा बिजल्वाण, अमीषा बिष्ट, शिवांंशी नेगी, वर्षा सुयाल, काजल, सुहानी ने आदि गुरु शंकराचार्य कृत श्रीगुरु अष्टकम के श्लोकों का गान किया। साथ ही रघुवंश शुक्ल, अंजली गिरि, आशीष डबराल, अभिषेक, आकाश नौडियाल, विजया पंवार ने शानदार नाटक का मंचन किया। भाषण प्रतियोगिता में मनीषा सेमवाल, आस्था कुंवर, सलोनी गैरोला, शुभम उनियाल का बेहतर प्रदर्शन रहा।

कार्यक्रम का संचालन हंसराज बिष्ट ने किया। इस मौके पर राकेश कोठारी, आदि मौजूद थे।

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