टिहरी के मुकुल का कमाल: इस तरह गाँव के बेटे ने 10वीं में किया टॉप, बताए सफलता के राज

नई टिहरी। 

Uttarakhand

एक कहावत है कि जहां चाह होती है वहां राह होती है। अगर किसी मुकाम पर जाना हो तो कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया थौलधार के कैंछु गाँव के मुकुल ने, जिसने हाईस्कूल की परीक्षा में राज्य टॉप किया है। प्रदेश की संयुक्त श्रेष्ठता सूची में सुभाष इण्टर कालेज, थौलधार, टिहरी गढ़वाल के छात्र मुकुल सिलस्वाल ने हाईस्कूल परीक्षा में 495/500, कुल 99.00 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।

मुकुल के पिता राकेश सिलस्वाल लोक गायक और पूर्व प्रधान हैं। वहीं माता गारमेंट की दुकान चलाती है। परिवार वालों को जैसे ही बेटे के प्रदेश टॉप करने के बारे में पता चला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुकुल के परिवार के लोगों ने उसे गले लगा लिया और लड्डुओं से मुंह मीठा कराकर बधाईयां दी।

कड़ी मेहनत, पढ़ाई पर ध्यान और टॉप पोजिशन

मुकुल ने कहा कि उनकी इस कामयाबी का श्रेय उनके परिवार और स्कूल के अध्यापकों को है। अध्यापकों ने मेहनत से पढ़ाया। बीते दो सालों में उसने कड़ी मेहनत की, पूरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर दिया और टॉप पोजिशन पर जगह बनाई। मुकुल अपनी कामयाबी के लिए सेल्फ स्टडी को मूल मंत्र मानते हैं।

मुकुल का कहना है कि स्कूल में जो पढ़ाया जाता है, उसे ध्यान से पढ़ो, घर जाकर रोजाना रिवाइज करो और समय मिलने पर कुछ अतिरिक्त विषयों के बारे में जानकारी भी हासिल करो। साथ ही जो विषय कमजोर है, उस पर अधिक तवज्जो दो। मुकुल को लगता था कि जिन विषयों में कुछ कमजोर है, उसने उस विषय पर ज्यादा मेहनत की और अपने अंकों को कम नहीं होने दिया। शिक्षा के साथ-साथ मुकुल खेलों में भी सक्रिय है।  मुकुल के बड़े भाई अतुल ने वर्ष 2017 की हाईस्कूल परीक्षा में टॉप किया था। वह इस समय एसआरटी परिसर बादशाहीथौल से बीएससी की पढ़ाई कर रहे हैं। एथलेटिक्स के खिलाड़ी मुकुल ने जिलास्तरीय प्रतियोगिता में भी प्रतिभाग किया।

आर्मी ऑफिसर बनना चाहते हैं मुकुल

मुकुल का कहना है कि वह आर्मी ऑफिसर बनकर देश सेवा करना चाहते हैं। मुकुल ने कहा कि वह आर्मी में जाकर जहां अपने परिवार का नाम ऊंचा करना चाहते हैं, वहीं देश सेवा में भी अहम योगदान देना चाहते हैं।

मुकुल ने बताया कि वह रोजाना 4 से 5 घंटे की पढ़ाई और साथ-साथ मां के साथ काम में हाथ बंटाता, यही उसकी दिनचर्या रही। उसने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए उसे स्कूल टीचरों से भी अच्छी गाइडेंस मिली और परिवार ने भी पूरा स्पोर्ट किया।

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