सुप्रभातम् : नवरात्रि में इसलिए बोये जाते हैं ज्वारे, भविष्य से जुड़े देते हैं संकेत

Uttarakhand

नवरात्रि  में देवी मां की पूजा आराधना के अलावा भी कई सारे रीति रिवाज निभाए जाते हैं। जिनमें से एक रिवाज हर साल मिट्टी के बर्तन में ज्वारे यानि कि जौं बोने का भी है। कहा जाता है की माता रानी की पूजा में हर जगह ज्वारे पहले बोये जाते हैं। ज्वारे बोना बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है दुर्गा पूजा में, लेकिन क्यों इसके पीछे का कारण आइए जानते हैं।

जौ को ही जवारे कहते हैं

जौ को ही ज्वारे भी कहते हैं। नवरात्रि के दिनों में मंदिर, घर और पूजा के पंडालों में मिट्टी के बर्तन में ज्वारे बोये जाते हैं। नियमित रूप से इनमें जल अर्पित किया जाता है। जिससे ये धीरे-धीरे अंकुरित होकर बढ़ते हैं और हरी-भरी फसल की तरह लगते हैं। नवरात्रि के समापन पर इन्हें बहते हुए जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

क्यों बोया जाता है जौ

नवरात्रि में जौ बोने की इस परंपरा के पीछे तर्क यह है कि सृष्टि के आरंभ में जौ ही सबसे पहली फसल थी। जौ बोने की यह प्रथा हमें यह सीख देती है कि हम सदैव अपने अन्न और अनाज का सम्मान करें। इस फसल को हम देवी मां को अर्पित करते हैं। इस जौ (जवारे) को उगाया जाता है। पूजा घर में जमीन पर जौ को बोते समय मिट्टी में गोबर मिलाकर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए जौ बोए जाते हैं।

ज्वारे के संकेत

ज्वारे आपको भविष्य में आने वाले संकेतों के बारे में जानकारी देते हैं। मान्यता के अनुसार अगर बोये गए जौ नवरात्रि के शुरुआत के तीन दिनों में ही अंकुरित होने लगते हैं तो ये शुभ संकेत होता है। लेकिन अगर यह बिल्कुल उगे ही नहीं तो भविष्य के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। इसका अर्थ ये लगाया जाता है कि कड़ी मेहनत के बाद भी आपको मेहनत का फल नहीं मिलेगा। वहीं यदि आपका बोया हुआ जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा है तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। इसका अर्थ होता है कि आपका आने वाला समय खुशहाल रहने वाला है।

जवारों से जुड़ीं 3 खास बातें

जौ बोने का एक अन्य पौराणिक मुख्य कारण व धार्मिक मान्यता है कि अन्न ब्रम्हा है। इसलिए अन्न का सम्मान करना चाहिए।

इसे हवन के समय देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जाता है।

जौ अगर तेजी से बढ़ते हैं तो घर में सुख-समृद्धि आती है। यदि यह मुरझाएं और ठीक से ना बढ़ें तो अशुभ माना जाता है।

नवरात्रि के दौरान की जाने वाली कलश स्थापना के समय उसके नीचे रेत रखकर जल एक लोटा चढ़ाने का महत्व है।

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