सुप्रभातम्: रामायण में छिपा है जीवन का सार, अपने जीवन को बना सकते हैं सुखी और सफल

रामायण से हर इंसान को कुछ न कुछ सीखकर अपने जीवन में अच्छी बातें शामिल करनी चाहिए। इससे जीवन का स्तर बढ़ेगा। वहीं अच्छे गुणों के प्रभाव से हर कामों सफलता मिलेगी। मानसिक तनाव से बचेंगे और परेशानियों से भी दूर रहेंगे। 

Uttarakhand

रामायण का किस्सा है। रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया था। श्रीराम और लक्ष्मण की भेंट हनुमान से हुई तो हनुमान ने उनकी मित्रता सुग्रीव से करवा दी। श्रीराम ने बालि वध करके सुग्रीव की परेशानी दूर की और सुग्रीव को राजा बना दिया। इसके बाद सुग्रीव ने सीता की खोज में पूरी वानर सेना को भेज दिया।

सीता जी की खोज में सभी वानर निकल चुके थे। दक्षिण दिशा में समुद्र किनारे वानरों को जटायु के भाई संपाती ने बताया था कि देवी सीता लंका में हैं। वानर सेना के इस दल में हनुमान, अंगद और जामवंत भी थे।

वानरों को सीता के बारे जानकारी मिल गई थी कि अब प्रश्न ये था कि लंका जाकर देवी सीता की खोज कौन कर सकता है?

बहुत सोच-विचार करने के बाद ये तय हुआ कि हनुमान लंका जाएंगे और देवी सीता का पता लगाकर आएंगे। हनुमान ने लंका जाने से पहले तीन खास काम किए थे।

पहला काम ये था कि हनुमान ने अपने सभी साथी वानरों को प्रणाम किया। उन्होंने दूसरा काम ये किया कि

पहला काम ये था कि हनुमान ने अपने सभी साथी वानरों को प्रणाम किया। उन्होंने दूसरा काम ये किया कि जामवंत से सलाह ली। तीसरा काम, भगवान श्रीराम को हृदय में रखा यानी भगवान का ध्यान किया और लंका की ओर उड़ गए।

Uttarakhand

हनुमान के लिए सभी वानरों को प्रणाम करना जरूरी नहीं था, लेकिन उन्होंने सभी को प्रणाम करके विनम्रता का परिचय दिया। इसके बाद उन्होंने जामवंत से पूछा था कि लंका जाकर मुझे क्या करना चाहिए। तब जामवंत ने हनुमान को सलाह दी थी कि आप लंका जाकर सिर्फ देवी सीता का पता लगाकर लौट आइए, आपको वहां युद्ध नहीं करना है। आप लौट आइए, फिर प्रभु श्रीराम जैसा कहेंगे, वैसा हम सब करेंगे। जामवंत की बातें हनुमान जी ने पूरी गंभीरता से सुनी और समझीं। इसके बाद उन्होंने श्रीराम का ध्यान पूरी श्रद्धा के साथ किया और लंका की ओर उड़ गए। हनुमान ने विनम्रता, गंभीरता और श्रद्धा के साथ सबसे मुश्किल काम सीता की खोज की शुरुआत की थी और उन्हें सफलता भी मिली।

हनुमान जी की सीख

• हम जब भी कोई बड़ा काम करने वाले हों तब हमें विनम्रता, गंभीरता और श्रद्धा के साथ शुरुआत करनी चाहिए।

• विनम्रता ये थी कि हनुमान जी ने सभी वानरों को प्रणाम किया। गंभीरता ये थी कि उन्होंने अनुभवी जामवंत की बातें ध्यान से सुनीं।

• श्रद्धा ये थी कि उन्होंने श्रीराम का ध्यान किया। इन तीन बातों से हनुमान जी का आत्मविश्वास जागा और उन्होंने सफलता हासिल की।

Uttarakhand

• अगर हम भी इन तीन गुणों को अपना लेंगे तो हमें भी मुश्किल कामों में भी सफलता मिल जाएगी।

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *