हिमशिखर खबर ब्यूरो
ज्येष्ठ महीने में भगवान सूर्य नारायण की पूजा करने का विधान और इसका महत्व भी सभी ग्रंथों में बताया है। इस महीने सूर्य के गभस्तिक रूप की पूजा होती है। विद्वानों को कहना है कि ज्येष्ठ महीने के रविवार को उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने से बीमारियां दूर होने लगती है और व्रत रखने से उम्र बढ़ती है। साथ ही इस दिन जलदान करने से कई यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। आज 12 जून को ज्येष्ठ महीने का रविवार है।
कैसे करें सूर्य पूजा
ज्येष्ठ महीने में सूर्य पूजा का बहुत महत्व है। इस महीने के रविवार को उगते हुए सूरज को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे में लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुछ गेहूं के दाने भी डाल लें। ऊँ घृणि: सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाना चाहिए। फिर भगवान भास्कर को नमस्कार करें। इसके बाद भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप भी करना चाहिए।
व्रत का करें ऐसे पालन
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धानुसार भोजन, कपड़े या कोई भी उपयोगी चीज जरूरतमंद लोगों को ही दान करें। गाय की सेवा करें। पशु पक्षियों को पानी दें। छाता और जूते-चप्पल का दान करें।
ज्येष्ठ महीने के रविवार को व्रत रखने से बीमारियों से राहत मिलती है। इस दिन व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए। सिर्फ फल खाएं। सूर्य की उपासना में सूर्य देव का ध्यान करें। तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी ही पीएं। अगले दिन सूर्योदय तक व्रत रखें।
ज्येष्ठ मास का महत्व
हिंदू पंचाग में ज्येष्ठ तीसरा महीना होता है। ये महीना ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम पर आधारित है। वैसे तो गर्मियों की शुरूआत फाल्गुन मास के खत्म होते होते शुरू हो जाती हैं। लेकिन जब ज्येष्ठ महीने की शुरुआत होती है तो गर्मी चरम पर रहती है। इसलिए ग्रंथों में ज्येष्ठ मास के दौरान जल का बहुत महत्व बताया है। ये ही वजह है कि इस हिंदी महीने में जल से जुड़े व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं।