नई दिल्ली
18 अक्टूबर 2021 को शुरू हुआ नौसेना कमांडरों का सम्मेलन आज चार दिनों के सार्थक विचार-विमर्श के बाद संपन्न हुआ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना कमांडरों को संबोधित किया और भारतीय नौसेना की उच्च अभियानगत गति को बनाए रखने और राष्ट्र के समुद्री हितों की सुरक्षा करने के लिए उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने भारत के भू-रणनीतिक स्थान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक राष्ट्र के रूप में विकास तथा एक सभ्यता के रूप में विकास की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए और दुनिया के साथ सक्रिय जुड़ाव के लिए समुद्र पर हमारी बढ़ती निर्भरता के कारण मजबूत नौसेना की आवश्यकता पर जोर दिया।
रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में एक दृश्यमान, विश्वसनीय और उत्तरदायी उपस्थिति स्थापित करके देश की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए नौसेना की सराहना की। उन्होंने मिशन सागर के अंतर्गत दक्षिण पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए नौसेना की भी सराहना की, जो माननीय प्रधानमंत्री के क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के आह्वान के अनुरूप है तथा जिसमें प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर विभिन्न मानवीय सहायता एवं आपदा राहत क्रियाकलाप किए गए हैं तथा कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान नागरिक आबादी को सहायता प्रदान की गई है।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय नौसेना ने पिछले पांच वर्षों में आधुनिकीकरण बजट का दो-तिहाई से अधिक स्वदेशी खरीद पर खर्च किया है और नौसेना द्वारा ऑर्डर किए गए 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड से हैं, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने अब तक हासिल की गई गति को बनाए रखने का आग्रह किया और यह आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम नौसेना की मारक क्षमता को और अधिक बढ़ाएंगे।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि पी75 (आई) परियोजना सबसे बड़ी ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं में से एक होगी और कोविड सहित चुनौतियों पर काबू पाने के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमान वाहक ‘विक्रांत’ के सफल प्रथम समुद्री परीक्षणों पर बधाई दी। इसके अतिरिक्त रक्षा मंत्री ने नौसेना कूटनीति को मजबूत करने के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में प्रशिक्षण पर भी प्रकाश डाला और चार दशकों से अधिक समय से भारत में विदेशी कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करने में नौसेना की सराहना की। इसके अलावा मानव रहित प्रणालियों में दुनिया भर में विकसित हो रहे तकनीकी परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौसेना के लिए एक एकीकृत मानव रहित रोडमैप भी सम्मेलन के दौरान माननीय रक्षा मंत्री द्वारा प्रख्यापित किया गया था ।
कमांडरों ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, थल सेनाध्यक्ष और वायु सेना प्रमुख के साथ बातचीत की और विकसित क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए सेना के तीनों अंगों के तालमेल को बढ़ाने के तरीकों समेत अनेक मुद्दों पर चर्चा की।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने नौसेना कमांडरों को युद्ध की तैयारी, क्षमता वृद्धि, समुद्री बल के रूप में विश्वसनीयता, सुरक्षा, रखरखाव, अभियानगत रसद संबंधी तौरतरीक़ों, बुनियादी ढांचे के विकास और मानव संसाधन प्रबंधन से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर संबोधित किया। उन्होंने मौजूदा सुरक्षा स्थिति और हिंद महासागर क्षेत्र के विवादित माहौल में भारतीय नौसेना के बढ़ते कर्तव्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। कमांडरों ने संचालन, अधिग्रहण, बुनियादी ढांचे, रखरखाव, रसद, मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण जैसे सभी पहलुओं में उपलब्ध संसाधनों के भीतर प्राप्त परिणामों को बढ़ाने और परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। भारतीय नौसेना की परिचालन संपत्तियों पर प्रधानता रखना नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के विषय थे।