एक बार एक व्यक्ति अपनी ही धुन में कहीं चला जा रहा था। कुछ खोया-खोया। कुछ हालातों से मजबूर। दिमाग में हजारों सवाल, तभी उसकी नजर एक विशाल हाथी पर पड़ी, जिसे महावत ने एक पतली रस्सी से बांध रखा था।
सारे सवाल किनारे हो गए और अब उसके मन में यह बात चल रही थी कि इतना बड़ा हाथी मोटी चेन को भी तोड़ सकता है, तो रस्सी से बंधे होने पर उसे तोड़ना इसके लिए कितना मुश्किल होगा। फिर भी वह अपनी जगह पर शांत खड़ा था।
उत्सुकतावश वह व्यक्ति महावत के पास गया। उस व्यक्ति ने पूछा, यह हाथी अपनी जगह से इधर उधर क्यों नहीं भागता या रस्सी क्यों नहीं तोड़ता है ? महावत ने जवाब दिया, जब यह हाथी छोटा था तब भी हम इसी रस्सी से इसे बांधते थे।
जब यह छोटा था, तो बार-बार इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश करता था पर कभी तोड़ ही नहीं पाया। कारण, तब उसमें इतनी शक्ति नहीं थी। मगर, बार-बार रस्सी तोड़ने की नाकाम कोशिश करने के कारण हाथी को यह विश्वास हो गया कि रस्सी को तोड़ना असंभव है।
आज बड़ा हो जाने और काफी शक्तिशाली हो जाने के बाद भी उसके मन में यह बात जम गई है कि वह रस्सी को नहीं तोड़ पाएगा। यही सोचकर वह रस्सी को तोड़ने की अब कोशिश भी नहीं करता है।
यह सुनकर वह व्यक्ति दंग रह गया। उस व्यक्ति के दिमाग में जो हजारों सवाल चल रहे थे, उनका जवाब अब उसे मिल चुका था। पुरानी नाकामियों ने उसके भी मन में असफल होने का डर बिठा दिया था। मगर, हाथी की कहानी ने उसके दिमाग के जाले साफ कर दिए थे।
उस हाथी की तरह हममे से भी कई लोग ऐसे हैं, जो अपने जिंदगी में कई नाकामियों के बाद हार मानकर बैठ जाते हैं। कोशिश करना छोड़ देते हैं। मगर, सफलता उन्हें ही मिलती है, जो बार-बार प्रयास करते रहते हैं।