नई टिहरी।
श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 पी0 पी0 ध्यानी ने श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया शुरू करने के लिये राजभवन/कुलाधिपति सचिवालय को पत्र प्रेषित कर दिया है, जिसमें उन्होने अवगत कराया कि अब उनका कार्यकाल मात्र 04 माह ही शेष है, अतः पूर्व में ही कुलपति की नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया शासन द्वारा शुरू कर दी जानी चाहिए, ताकि ठीक समय पर नियमित कुलपति की नियुक्ति हो सके।
डा0 ध्यानी की व्यक्तिगत राय है कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियां तदर्थ/अतिरिक्त प्रभार/कामचलाउ व्यवस्था के तहत नही होनी चाहिए। उन्होने सुझाव दिया कि कुलपतियों के कार्यकाल समाप्त होने से, तीन-चार माह पहले, चयन प्रक्रियायें शासन द्वारा शुरू कर दी जानी चाहिए। ताकि विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपतियों की निरन्तरता बनी रहे। नियमित कुलपतियों की व्यवस्थाओं से विश्वविद्यालय की शाख भी बढ़़ती है, छात्र-छात्राओं, शिक्षकांे और कर्मचारियों की समस्याओं का दू्रतगति से समाधान भी होता है और विश्वविद्यालय प्रगति के पथ पर निरन्तरता से आगे भी बढ़ते हैं।
यह भी अवगत करा दें कि डा0 ध्यानी ने, जब वे उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के रूप में कार्य कर रहे थे, तब भी उन्होने सुझाव दिया था कि कामचलाऊ व्यवस्थाओं के तहत कुलपतियों की नियुक्तियां नही होनी चाहिए। डा0 ध्यानी एक प्रख्यात वैज्ञानिक एंव शिक्षाविद् हैं। उन्हे राज्य के 3 विश्वविद्यालयों में कार्य करने तथा केन्द्र सरकार के एक राजकीय संस्थान में निदेशक के रूप में कार्य करने का वृहद अनुभव है, उनके 305 से अधिक वैज्ञानिक प्रकाशन (05 नीति दस्तावेजों सहित) प्रकाशित हो चुके हैं। डा0 ध्यानी राज्य में ऐसे सबसे पहले कुलपति हैं, जिन्होने कार्यकाल पूरे होने के 4 माह पूर्व में ही कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने हेतु राजभवन/कुलाधिपति सचिवालय को अवगत कराया है। उनकी इस पहल को राज्य में एक दृष्टांत के रूप में हमेशा याद किया जायेगा।