सुप्रभातम् : जनसत्ता, राजसत्ता और परमसत्ता में तालमेल बैठाना होगा

सावधानी हटी दुर्घटना घटी और देश में फिलहाल वही हो रहा है। भीड़ से कोरोना संक्रमण के प्रसार में तेजी आएगी लेकिन ये सब कुछ जानते हुए भी कुछ लोग लापरवाही बरत रहे हैं। इससे कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है।

Uttarakhand

हिमशिखर धर्म डेस्क

कोरोना बीमारी की बयार अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई है। मिट्टी उड़ाकर देखो तो हवा का रुख, लापरवाहियां उड़ाकर देखो तो बीमारी का रुख पता चल जाएगा। हम लॉकडाउन के उस सन्नाटे से गुजर चुके हैं जिसमें कई दिल धड़क रहे थे और हर धड़कते दिल की आवाज एक ही थी- कब जाएगा कोरोना।

अब राजसत्ता और जनसत्ता दोनों अपने-अपने हिसाब से कोशिश कर रही हैं कि इस महामारी की तीसरी लहर न आए। तो क्यों न इस समय परमसत्ता से भी जुड़ा जाए। परमात्मा की सत्ता का प्रधानमंत्री है प्रकृति। फिर प्रकृति का अपना एक मंत्रिमंडल है, जिसमें पांच प्रमुख मंत्री हैं- पृथ्वी, जल, वायु, अग्रि और आकाश।

इन्हें पंचतत्व भी कहा गया है और ये पांचों, प्राणियों के लिए काम करते हैं। फिर प्राणी दो भाग में बंटे हैं- मनुष्य और पशु। इसमें भी एक नियम चलता है। प्रकृति की घोषणा है कि तुम यदि हमें अच्छा दोगे तो हम उस अच्छे को कई गुना बढ़ाकर लौटाएंगे। वहीं तुम यदि हमारे साथ बुरा करोगे तो उसका कई गुना बुरा ही लौटकर तुम तक आएगा।

प्रकृति के इस नियम को पशु तो फिर भी याद रखते हैं, पर मनुष्य इसकी धज्जियां उड़ाने में बहुत आगे हैं। कम से कम अब तो हम मनुष्यों को समझ ही लेना चाहिए कि आने वाले कुछ समय में जनसत्ता, राजसत्ता और परमसत्ता का तालमेल बैठा लें। यही जगहित में होगा।

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