नई दिल्ली
प्रधानमंत्री को मिले उपहारों और स्मृति चिन्हों को आप भी खरीद सकते हैं। शुक्रवार से इन चीजों की ई-नीलामी शुरू हो गई है जो 7 अक्टूबर, 2021 तक खुली रहेगी। ई-नीलामी से होने वाली राशि नमामि गंगे मिशन को दी जाएगी। ई-नीलामी में करीब 1330 स्मृति चिन्हों और उपहारों को शामिल किया गया है।
ई-नीलामी वेब पोर्टल https://pmmementos.gov.in. के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है। स्मृति चिन्ह में टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों और टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों के विजेताओं द्वारा प्रधानमंत्री को उपहार में दिए गए स्पोर्ट्स गियर और उपकरण शामिल हैं। अन्य दिलचस्प कलाकृतियों में अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति, चारधाम, रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, मॉडल, मूर्तियां, पेंटिंग और अंगवस्त्र शामिल हैं।
टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंटिल और टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों में नीरज चोपड़ा द्वारा इस्तेमाल भाले सबसे अधिक आधार मूल्य वाले आइटम हैं। इन प्रत्येक आइटम का आधार मूल्य एक करोड़ रुपये है। सबसे कम कीमत वाली वस्तु एक छोटे आकार का सजावटी हाथी है जिसकी कीमत 200 रुपये है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने एक ट्वीट में इस नीलामी की जानकारी दी।
Some incredible memorabilia’s received by PM @narendramodi Ji will be E-auctioned by @MinOfCultureGoI from tomorrow.
Proceeds from the e-Auction will go to the Namami Gange Mission.
Link to participate: https://t.co/mwoB4POSo8
More: https://t.co/espUGQR2v3 pic.twitter.com/YjIvppzw5U
— G Kishan Reddy (@kishanreddybjp) September 16, 2021
कुछ अन्य वस्तुएं जैसे लवलीना बोरगोहेन द्वारा इस्तेमाल किए गए बॉक्सिंग दस्ताने, जो नीले रंग के हैं और नीचे की तरफ स्ट्रैप्ड हैंडल हैं और इस पर खिलाड़ी ने खुद हस्ताक्षर किये हैं, उन्हें भी नीलामी के लिए रखा गया है।
पैरालंपिक में स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा नागर द्वारा हस्ताक्षर किए गए बैडमिंटन रैकेट की भी बोली लगाई जा रही है। इसके अलावा एक टेबल टेनिस रैकेट भी है, जो टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों की रजत पदक विजेता भाविना पटेल द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। इसका उपयोग टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों में भाविना पटेल द्वारा किया गया था।
ई-नीलामी से प्राप्त राशि गंगा नदी के संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्य से नमामि गंगे अभियान को प्रदान की जाएगी। नरेन्द्र मोदी भारत के पहले प्रधान मंत्री हैं, जिन्होंने “नमामि गंगे” के माध्यम से देश की जीवन रेखा- गंगा नदी के संरक्षण के नेक काम के लिए मिलने वाले सभी उपहारों को नीलाम करने का फैसला किया है।