इस बार 62 साल बाद भाद्रपद शुक्ल पक्ष (Bhadrapada Shukla Paksha) 15 दिन के बजाय 13 दिन का रहेगा। भाद्रपद शुक्ल पक्ष आज 8 सितंबर से शुरू होकर, जो पूर्णिमा 20 सितंबर तक रहेगा। इससे पहले भाद्रपक्ष शुक्ल पक्ष साल 1959 में 13 दिन (13 Days) का आया था। हालांकि 13 दिन का पक्ष इस बार 11 साल बाद ही आ रहा है, इससे पहले वर्ष 2010 में वैशाख शुक्ल पक्ष 13 दिन का आया था।
ज्योतिषाचार्य हर्षमणि बहुगुणा
इस बार कई दशको बाद भाद्रपद शुक्ल पक्ष 15 दिन के बजाय 13 दिन का रहेगा। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तिथियों की सूक्ष्म गणना से इस माह अर्थात् भाद्रपद शुक्ल पक्ष में तेरह दिन का पक्ष घटित हो रहा है। यह पक्ष आज आठ सितम्बर से शुरू होकर बीस सितम्बर तक रहेगा। ऐसे पक्ष को विश्व घस्र पक्ष कहा जाता है। प्राय: ऐसे पक्ष को शुभ कारी नहीं माना जाता है।
सामान्य रूप से कोई भी पक्ष १४/१५/१६ दिन का होता है यदि तिथि क्षय होती है तो १४ दिन का पक्ष व यदि तिथि की वृद्धि होती है तो १६ दिन का पक्ष होता है। तिथि की गणना चन्द्रमा की गति पर आधारित है। परन्तु कई बार किसी पक्ष में दो तिथियों का क्षय होता है अतः पक्ष तेरह दिन का हो जाता है। इस तरह १३ दिन के पक्ष होने के कारण शास्त्रज्ञों ने इसे अशुभ माना है। जैसे कि कहा गया है कि —
अनेकयुग साहस्रयाद् दैवयोगात् प्रजायते।
*त्रयोदशदिने पक्ष: तदा संहरते जगत् ।।
विश्व में किसी देश का विघटन या भूगोल में परिवर्तन हो सकता है, समाज में अशान्ति का वातावरण, राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियां अस्थिर, अनेक प्रकार की असुविधायें, प्राकृतिक आपदायें आ सकती हैं। यह एक सामान्य विश्लेषण है। शास्त्र कारों का मत है। इसे हम नकार भी नहीं सकते हैं। पर एक आंकलन यह भी है कि दिनांक सात सितंबर को अमावस्या तिथि अलग अलग पंचागानुसार एक घड़ी से कम है, किसी में ५२ पल, किसी में २८ पल गिनी गई है। उसी दिन प्रतिपदा तिथि ५६ घड़ी ३० पल या ५६ घड़ी ०८ पल गिनी गई है। अर्थात् अगले दिन आठ सितंबर को प्रतिपदा है ही नहीं इससे यह आंका जा सकता है कि पक्ष सात सितंबर से ही प्रारम्भ हो गया है और तेरह दिन का न होकर चौदह दिन का पक्ष बन रहा है। फिर भी हम शास्त्रज्ञों के कथन को नकार भी नहीं सकते हैं व सावधान रहने की आवश्यकता महसूस कर सकते हैं या सावधान रहने की सलाह देते हैं।
वैसे इस पक्ष में कलंक चतुर्थी (सिद्ध विनायक व्रत) भी है जो दस सितम्बर को है। ग्रहों की अनुकूलता के लिए देवताओं व ब्राह्मणों की वन्दना करनी चाहिए, गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए, प्रतिदिन सज्जनों के साथ वार्ता करनी चाहिए, वेदों व कल्याणकारी कथाओं का श्रवण करना चाहिए यज्ञ हवन करना, अन्त:करण की पवित्रता भगवन्नाम जप, दान, ग्रह दुर्भिक्ष पीड़ा कारक नहीं हो सकते हैं।
*देवब्राह्मणवन्दनाद् गुरु वच:सम्पादनात्*
*प्रत्यहं साधूनामभिभाषणाच्छ्रुतिरव-श्रेयस्कथाकर्णनात् ।*
*होमादध्वरदर्शनाच्छुचिमनोभावाज्जपाद्दानतो*
*नो कुर्वन्ति कदाचिदेव पुरुषस्यैवं ग्रहा:पीडनम् ।।
हर प्रकार का टकराव व बिखराव अन्त:करण की शुद्धि से शान्त हो जाता है । परन्तु मनो मालिन्यता के कारण अनेकों आपत्तियां स्वत: उत्पन्न हो जाती हैं। देश को उन्नति के पथ पर अग्रसर करवाने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए न कि अनावश्यक विरोध जैसा प्राय: देखा जा रहा है। शत्रुकृत गतिविधियों से सजगता की आवश्यकता है जिससे वे हमारी शान्ति भंग न करें।
इस बीच सात सितम्बर से १४ सितम्बर तक गुरु और शुक्र के मध्य नवपंचम योग भी है इससे किन्हीं देशों के बीच युद्ध के कारण तनाव भी बन सकता है, अपने देश में भी कहीं कहीं विरोध व टकराव की स्थिति हो सकती है अतः ऐसी परिस्थिति को समझते हुए अनधिकार चेष्टाओं को कम करने की सलाह भी दी जा सकती है। आशा है ईश्वरीय कृपा हम पर व हमारे देश पर बनी रहेगी। विश्वास रखिए भारत माता के सपूतों में अदम्य साहस है व चुनौतियों का सामना करने की सामर्थ्य भी है।
जय हिन्द, वन्देमातरम, भारत माता की जय