काल भैरवाष्टमी आज : काशी के कोतवाल हैं भगवान भैरवनाथ

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

Uttarakhand

आज काल भैरवाष्टमी है, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी को परमेश्वर सदाशिव ने भैरवनाथ के रूप में अवतार लिया। अतः उन्हें साक्षात् भगवान शिव ही मानना चाहिए। भगवान शिव के दो स्वरूप हैं, एक भक्तों को अभय देने वाला विश्वेश्वर स्वरूप और दूसरा दुष्टों को दण्ड देने वाला काल भैरव स्वरूप , यह भैरव स्वरूप अत्यन्त रौद्र, भयानक, विकराल तथा प्रचण्ड रूप है।

*भैरव: पूर्णरूपो हि शङ्करस्य परात्मन: ।
*मूढास्तं वै न जानन्ति मोहिताश्शिवमायया ।।

भैरवनाथ का जन्म मध्याह्न में हुआ, अतः अष्टमी तिथि मध्याह्न व्यापिनी लेते हैं। भैरवनाथ का वाहन कुत्ता हैं इसलिए कुत्ते को मीठा भोजन कराया जाता है।आज के दिन उपवास करने व भगवान भैरवनाथ के समीप जागरण करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। भगवान भैरवनाथ काशी के कोतवाल हैं। अतः भैरवनाथ की पूजा काशी में विशेष रूप से की जाती है ।

आज भगवान भैरवनाथ की पूजा अर्चना कर काल भैरवाष्टक का पाठ करें।

” *काशिकापुराधि नाथ काल भैरवं भजे* ”
यथा सम्भव अपने क्षेत्र की उन्नति व रक्षा हेतु प्रयास करना श्रेयस्कर है। शेष हरि इच्छा बलवती होती है, करने वाला और कराने वाला वही सर्वशक्तिमान ईश्वर ही है। हम सब निमित्त मात्र हैं। वह मन्दिरों में क्षति पहुंचाने वालों को भी देख रहा है, हम अज्ञानी स्वयं को कर्ता मानें बैठे हैं। तो आइए आज शनिवार के इस पवित्र दिवस पर अपने हित भैरव की, नादबुद्ध भैरव की पूजा अर्चना कर किंचित पुण्य अर्जित करने का लघु प्रयास करें।

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