पंडित हर्षमणि बहुगुणा
आज शुक्रवार को अमावस्या वह भी मौनी अमावस्या, ऐसी तिथि का सुमधुर स्वागत। किसी को बहस से जीतने के बजाय मौन से पराजित करो। क्योंकि, — जो आपके साथ बहस करने के लिए सदैव तत्पर रहता है, वह आपके मौन को कभी भी सहन नहीं कर सकेगा ।
कबीर दास के शब्दों में—
बाद विवादे बिष घना, बोले बहुत उपाध।
मौन गहै सबको सहै, सुमिरै नाम अगाध।।
“मौनेन कलहो नास्ति”
माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है, इस दिन मौन व्रत का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि आज के दिन जो मौन रहता है वह मुनि बन जाता है या वह व्यक्ति मुनि की तरह हो जाता है। यह भी माना जाता है कि आज के दिन सृष्टि के नियामक ‘मनु’ का जन्म दिवस भी है। हमारे पुराण व वेदों में माघ मास के महत्व पर बहुत कुछ लिखा है, माघ मास ही नहीं भारतीय इतिहास में पूरा वर्ष पर्वों से भरा हुआ है। यह मान्यता नकारी नहीं जा सकती कि मौन रहने से आत्म बल की प्राप्ति होती है। आज के दिन दान पुण्य का विशेष महत्व है। पुराणों में वर्णित है कि —
तैलमामलकाश्चैव तीर्थे देयांस्तु नित्यश: ।
तत: प्रज्वालयेद्वह्निं सेवनार्थे द्विजन्मनाम्।।
कम्बलाजिनरत्नानि वासांसि विविधानि च।
चोलकानि च देयानि प्रच्छादनपटास्तथा।।
आज के दिन दैनिक नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान के बाद तिल, तिल के लड्डू, आंवला, तिल का तेल, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। साधु, महात्माओं तथा ब्राह्मणों के लिए सेंकने के लिए अग्नि (ईंधन) व कम्बल का दान करना चाहिए। गुड़ में काले तिल मिलाकर लड्डू बनाकर, लाल वस्त्र में बांध कर दान करना चाहिए। भोजन, दक्षिणा आदि पुण्य कर्म तथा पितृ श्राद्ध करना श्रेयस्कर है। इस बार मौनी अमावस्या के दिन शुक्रवार भी है, भृगुवासरी अमावस्या इस योग में सभी जगहों का जल गङ्गा जल के समान हो जाता है और सभी ब्राह्मण ब्रह्मसंनिभ शुद्धात्मा बन जाते हैैं। अतः इस सुयोग में यत्किंचित् पुण्य मेरु सदृश्य हो जाते हैं, अतः यथा सम्भव पुण्य अर्जित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। अपने जाने अनजाने पापों की निवृत्ति करनी श्रेयस्कर है। तो आइए आज मौन व्रत का पालन करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की जाय कि मानव तन पाकर हम मानवोचित कर्म करें, जहां तक सम्भव हो शुभ कर्म में संलग्न रह सकें। यह विचार आवश्यक है, और विचार करने में हानि भी नहीं है।
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