हिमशिखर खबर ब्यूरो
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस बार ये संयोग आज 30 मई को ज्येष्ठ महीने की अमावस्या पर बन रहा है। इस दिन स्नान-दान के साथ ही पितरों के लिए श्राद्ध करने की परंपरा है। सोमवार और ज्येष्ठ अमावस्या के संयोग में व्रत-उपवास, भगवान शिव, शनिदेव और पीपल की पूजा का विधान है।
ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व
ज्येष्ठ अमावस्या को न्याय प्रिय ग्रह शनि देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनि दोष से बचने के लिये इस दिन व्रत-उपवास करते हुए पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप और पेड़ की 108 परिक्रमा करने का विधान है।
इस दिन पितरों की पूजा करने और गरीबों को दान करने से पुण्य मिलता है। पापों का नाश होता है। इस दिन पवित्र जल में स्नान और व्रत रखने की भी परंपरा है। बहुत से लोग इसे स्नान-दान की अमावस्या के रूप में भी पूजते हैं। शनि जयंती और स्नान-दान के साथ महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसलिए उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या को विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माना जाता है।
ज्योतिष में सोमवती अमावस्या
सोमवार चंद्रमा का दिन हैं। इस दिन चंद्रमा और सूर्य अगर एक ही राशि में आ जाए तो ये पर्व हो जाता है। इस दिन किए गए स्नान-दान विशेष पुण्य देने वाले होते हैं। इस पर्व पर किए गए श्राद्ध से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। वहीं, इस दिन दिए गए अन्न और जलदान से कुंडली में मौजूद दोषों में कमी आ जाती है। सोमवार को अमावस्या का संयोग साल में 2 या 3 बार ही बनता है।
सोमवती अमावस्या का महत्त्व
सोमवार को आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस पर्व पर किए गए तीर्थ स्नान और दान से बहुत पुण्य मिलता है। इस दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों और मथुरा एवं अन्य तीर्थों में स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है।
निर्णय सिंधु ग्रंथ के मुताबिक इस दिन स्नान-दान और ब्राह्मण भोजन करवाने से हजार गायों के दान का पुण्य मिलता है। पीपल और वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करने से परेशानियां दूर होती हैं। श्रद्धा अनुसार दान दें। माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है।