हर्षमणि बहुगुणा
आज आप उत्तराखंड के लिए आगामी विधानसभा का चुनाव करने जा रहे हैं। आपका चुनाव पांच वर्षों तक इस राज्य की दशा और दिशा तय करेगा। हर व्यक्ति की सोच सार्थक होती है, जिसने जो विचार किया होगा वह शत प्रतिशत सही होगा। इस प्रसंग में मुझे महाभारत का एक किस्सा याद आ रहा है। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण केवल एक सारथी की भूमिका का निर्वहन कर रहे थे। कौरवों व पाण्डवों के पक्षों से अनेकों महारथी, सैनिक लड़ रहे थे, विजय किसी एक की ही होनी थी लेकिन अपने राजा को विजय दिलवाने के लिए हर सैनिक एड़ी चोटी का जोर लगा रहा था। आज कल भी यही देखने को मिल रहा है, मेरा अनुरोध है कि हम आपसी भाईचारा किसी भी सूरत में बिगड़ने न दें। नीति व अनीति का ध्यान अवश्य रखना होगा। महाभारत के इस दृष्टान्त से भी कुछ प्रेरणा ली जा सकती है-
श्रुता युध ने कठोर तपस्या की और उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसे एक अमोघ गदा प्रदान की तथा यह शर्त भी लगाई कि वह उसका अनीति से प्रयोग नहीं करेगा, और यदि अनीति से प्रयोग किया तो वह लौट कर उसी का विनाश कर देगी। महाभारत के युद्ध में श्रुता युध को अर्जुन से लड़ना पड़ा, युद्ध बहुत वेग से हो रहा था, दोनों महारथी अपना कौशल दिखा रहे थे, इस मध्य भगवान श्री कृष्ण को श्रुता युध के किसी अनिच्छित कर्म पर हंसी आ गई जो उसे बहुत बुरी लगी और उसने अपना उपहास समझा, अतः आवेश में आकर श्रुतायुध ने अपनी अमोघ गदा भगवान श्री कृष्ण पर चला दी, आवेश के कारण वह भगवान शंकर द्वारा बताई गई शर्त भूल गया। शर्त के अनुसार गदा श्रीकृष्ण तक नहीं पहुंची व बीच से ही वापस होकर श्रुतायुध पर ही लग गई, जिससे उसका शरीर क्षत विक्षत हो गया और निष्प्राण होकर भूमि पर गिर गया।’ संजय इस युद्ध का आंखो देखा हाल वर्णन कर रहे थे और अपनी टिप्पणी जोड़ कर संजय ने कहा कि- महाराज-“मनुष्य को सम्पूर्ण शक्तियां सदुपयोग के लिए प्राप्त हो रखी हैं, परन्तु जो उन्हें अन्याय या अनीति पूर्वक प्रयोग करता है, वह स्वयं अपने आपसे ही आहत होकर विनष्ट हो जाता है”। हम सब मनुष्य हैं और हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी आवश्यक भी है। परन्तु यदि हम अन्याय के मार्ग पर चलेंगे तो निश्चित विनाश की ओर अग्रसर होंगे, धन आएगा और चला जाएगा, साथ कभी भी कुछ भी नहीं जाएगा।
भले ही आप आज किसी का सब कुछ भी छीन लें या छल कपट से किसी को अपने पक्ष में भी कर लें, देखने वाला सब कुछ देख रहा है। अतः नीति के मुताबिक अपना कार्य करते हुए जीवन यापन कर अपने आने वाले हर लोक को सुधारने का प्रयत्न करेंगे। ऐसा ही इस चुनावी समर में भी करना चाहिए। आरोप प्रत्यारोप के रण से हट कर स्वच्छ मतदान कर कुशल मतदाता बनें। आशा है गरिमा व मर्यादा में रहकर अगली विधान सभा के चुनाव में भाग लेकर निष्पक्ष रूप से अपने विधायक का चयन करेंगे।