पंडित हर्षमणि बहुगुणा
हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यदि विनायकी चतुर्थी का ये व्रत मंगलवार को आता है, तो इसे अंगारक गणेश चतुर्थी कहते हैं।इस व्रत में भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
चतुर्थी का महत्व
इस दिन भगवान गणेश की पूजा का अत्यधिक महत्व है। शिव पुराण के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन दोपहर में भगवान गणेश का जन्म हुआ था। माता पार्वती और भगवान शिव ने उन्हें पुत्र रूप में प्राप्त किया था। उनके प्रकट होते ही संसार में शुभता का आभास हुआ। जिसके बाद ब्रम्हदेव ने चतुर्थी के दिन व्रत को श्रेष्ठ बताया। वहीं कर्ज एवं बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए मंगलवार को चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा की जाती है।
मंगल की पूजा होती है शिवलिंग रूप में
ज्योतिष में मंगल ग्रह को सेनापति माना गया है। ये ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। अंगारक चतुर्थी पर सबसे पहले गणेश पूजा करें, इसके बाद मंगल ग्रह को लाल फूल चढ़ाना चाहिए। इस ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है।
मंगल को जल चढ़ाएं, लाल गुलाल चढ़ाएं। इस शुभ योग में मंगल के लिए भात पूजा कर सकते हैं। इसमें शिवलिंग का पके हुए चावल से श्रृंगार किया जाता है और फिर पूजा की जाती है। ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।