पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज भाद्रपद की 13 गते है।
आज का विचार
किसी ने क्या खूब लिखा है कि, बीतता वक़्त है, लेकिन, ख़र्च हम हो जाते हैं। कैसे नादान हैं हम। दुःख आता है तो अटक जाते हैं, औऱ सुख आता है तो भटक जाते हैं।
आज का भगवद् चिन्तन
कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण
कर्म को ही योग बनाकर प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने की कला भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हम सबको सिखाता है। बहुआयामी व्यक्तित्व के भण्डार हैं भगवान श्रीकृष्ण। वो एक तरफ वंशीधर हैं तो दूसरी तरफ चक्रधर, एक तरफ माखन चुराने वाले हैं तो दूसरी तरफ सृष्टि को खिलाने वाले। वो एक तरफ बनवारी हैं तो दूसरी तरफ गिरधारी, वो एक तरफ राधारमण हैं तो तो दूसरी तरफ रुक्मिणी हरण करने वाले हैं।
कभी शांतिदूत तो कभी क्रांतिदूत, कभी माँ यशोदा तो कभी माँ देवकी के पूत। कभी युद्ध का मैदान छोड़कर भागने का कृत्य,तो कभी सहस्रफन नाग के मस्तक पर नृत्य। जीवन को निडरता पूर्वक पूर्णता से जीने का नाम ही कृष्ण है। श्रीकृष्ण का जीवन परिस्थितियों से भागना नहीं अपितु उनका डटकर सामना करना सिखाता है। यदि कर्म का उद्देश्य पवित्र व शुभ हो तो वही कर्म सत्कर्म बन जाता है।