आज का पंचांग: महादेव त्रिनेत्र का रहस्य

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज सावन की 23 गते है।

आज का विचार

हर परिस्तिथि एक सौगात हैं और हर अनुभव एक खजाना परिस्थितियों से लड़े बिना जीवन में श्रेष्ठत्व कभी संभव नहीं हो सकती है। इसलिए अगर जीवन का लक्ष्य महान है तो भूल जाओ कि बिना उचित त्याग, समर्पण के आप उसे प्राप्त कर लेंगे जैसे कर्मों की आवाज़ शब्दों से ऊँची होती है, उसी प्रकार दूसरों को ज्ञान देना या आलोचना करना सबसे आसान काम है और सबसे मुश्किल काम है शान्त रहे कर आलोचना सुनना क्योंकि प्रतिकूल व्यवहार पर आपके आचरण की मर्यादा के साथ सफलता प्राप्त होती है।

आज का भगवद् चिन्तन

महादेव त्रिनेत्र का रहस्य

इस श्रावण मास में भगवान शिव के जीवन से एक और प्रेरणा लेकर अपने जीवन को दिव्य और दैवीय बनाने का प्रयास करते हैं। प्रत्येक मनुष्य को भगवान शिव की तरह ही त्रिनेत्रधारी बनने का प्रयास करना चाहिए। महादेव के दो चक्षु बाहरी सृष्टि के लिए हैं तो एक चक्षु अंतर्दृष्टि के लिए है। जब तक हमारे पास भीतरी दृष्टि नहीं होगी तब तक हम अपने जीवन का ठीक – ठीक मूल्यांकन करने में सफल नहीं हो पायेंगे।भीतरी दृष्टि ही ज्ञान एवं विवेक की दृष्टि है।

दो आँखों से जगत को देखो और तीसरी आँख से जगत का मूल्यांकन करो।क्या हमारे लिए कल्याण कारक है और क्या हमारे लिए अनिष्टकारी है,इतना विवेक तो हमारे पास होना ही चाहिए।बाहरी दो आँखों से जगत का उपभोग करो लेकिन भीतरी तीसरी विवेक रूपी आँख से जो अमंगलकारी है, अरिष्टकारक है, उद्वेगकारक है और जीवन के उत्थान में बाधक है, उसका प्रतिरोध करना भी सीखो, यही त्रिनेत्रधारी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का रहस्य है।

संतों की महिमा

अयोध्या की अमराई में श्रीराम और भरत के बीच सवाल और जवाब हो रहे थे। भरत जिज्ञासा प्रकट कर रहे थे और राम समाधान दे रहे थे। भरत ने श्रीराम से कहा कि वेद और पुराण में संतों की बड़ी महिमा गाई गई है। आप भी उनकी बहुत बढ़ाई करते हैं।

‘सुना चहउं प्रभु तिन्ह कर लच्छन। कृपासिंधु गुन ग्यान बिचच्छन।’ ‘मैं उनके लक्षण सुनना चाहता हूं। आप कृपा के समुद्र हैं और गुण तथा ज्ञान में अत्यंत निपुण हैं।’ वैसे तो साधु और संत व्यक्तित्व हैं। लेकिन गहरे में जाएं तो ये एक जीवनशैली है। इसके लिए ना तो घर छोड़ना है ना ही कोई भगवा कपड़े पहनना हैं।

आप अपने परिवार के, व्यापार के सारे काम करते हुए भी संत हो सकते हैं। और संत के लक्षण राम इसलिए बता सकते हैं कि भरत ने राम जी के लिए तीन बातें बोलीं। कृपा के समुद्र, गुण और ज्ञान में निपुण। आप उदार हैं, ज्ञान तो आपमें है ही, पर सद्गुण भी उतरे। शिक्षा के साथ संस्कार, और इसके साथ व्यक्ति यदि दूसरों के लिए हितकारी दृष्टि रखे, तो वो संत है। इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि हम जो भी बन रहे हैं, वो तो बनें ही। लेकिन अपने भीतर जो एक संत जन्म से ही भगवान ने दिया है, उसको भी उजागर करें।

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