आज 10 जून का पंचांग: भूल को स्वीकार करें

पंडित उदय शंकर भट्ट

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आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज ज्येष्ठ मास की 27 गते और विनायक चतुर्थी व्रत है।

अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उपवास करने से दुखों का निवारण होता है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती है। आज के न भगवान गणपति जी की पूजा, आराधना और व्रत किया जाता है । जो जातक गणेश जी की पूजा करते हैं उनको बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

• चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि कर ले। इसके बाद भगवान श्री गणेश जी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प करें।

• फिर भगवान गणपति जी को रोली, फूल, दुर्वा, पान, अक्षत, चंदन और सुपारी आदि अर्पित करें ।

• गणपति जी को मोदक या फिर मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।

• गणपति चालीसा या गणपति मंत्रों का उच्चारण करें और गणेश जी की आरती करें ।

• गणपति जी की पूजा करने के लिए आप कुशा के सिद्ध, अभिमंत्रित आसन का प्रयोग करें ताकि आपको अपनी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके ।

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आज का पंचांग

सोमवार, जून 10, 2024
सूर्योदय: 05:23 ए एम
सूर्यास्त: 07:19 पी एम
तिथि: चतुर्थी – 04:14 पी एम तक
नक्षत्र: पुष्य – 09:40 पी एम तक
योग: ध्रुव – 04:48 पी एम तक
करण: विष्टि – 04:14 पी एम तक
द्वितीय करण: बव – 04:45 ए एम, जून 11 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: सोमवार
अमान्त महीना: ज्येष्ठ
पूर्णिमान्त महीना: ज्येष्ठ
चन्द्र राशि: कर्क
सूर्य राशि: वृषभ

आज का चिंतन

हम चीजों को उस तरह से नहीं देखते जिस तरह से वो है, बल्कि हम चीजों को उस तरह से देखते है जिस तरह के हम है.!

आज का भगवद् चिन्तन

भूल को स्वीकार करें

गलती हो जाने पर उसे स्वीकारना सीखो क्योंकि आपकी स्वीकारोक्ति ही आपको दूसरों की नजरों में क्षमा का अधिकारी भी बना देती है। एक गलती को झुपाने के लिए बोला गया झूठ आपसे आगे भी अनेक बार झूठ बुलवाता रहेगा। अपनी गलती को स्वीकारना ही आगे अपने आप में सुधार लाने का प्रयास करना भी है। यदि आपसे अनायास एक गलती हो जाती है तो वह क्षम्य है लेकिन उसे छुपाने के लिए झूठ बोलकर दूसरी गलती करना यह दंडनीय है।

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अपनी भूल को छुपाना, यह व्यक्ति के स्वयं के जीवन के लिए और भी घातक है। भूल को छुपाना किसी घातक वस्तु को कपड़े से ढकने जैसा है जो कुछ समय के लिए ढक अवश्य जाती है पर नष्ट नहीं हो पाती। समय आने पर वो छोटी – छोटी भूलें ही बड़ी गलतियों का कारण भी बन जाती हैं। सच का साथ देना सीखो, अवश्य ही सबका साथ और सबका प्रेम मिल जायेगा।

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