आज का पंचांग: 16 मई, शरीर एक मंदिर

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज ज्येष्ठ मास की 3 गते और सीता नवमी है।

सीता नवमी को देवी सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सीता जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है। विवाहित स्त्रियाँ सीता नवमी के दिन व्रत रखती हैं तथा अपने पतियों की दीर्घायु की कामना करती हैं।

सीता जयन्ती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनायी जाती है। देवी सीता का विवाह भगवान राम से हुआ था। सनातन पञ्चाङ्ग के अनुसार सीता जयन्ती राम नवमी के एक माह उपरान्त आती है।

माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं। इसीलिये इस दिन को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा जनक यज्ञ करने हेतु भूमि जोत रहे थे तो उन्हें स्वर्ण मञ्जूषा में एक बच्ची मिली। जमीन जोतते समय भूमि के अन्दर स्वर्ण मञ्जूषा मिली। जोती हुई भूमि को सीता कहा जाता है इसीलिये राजा जनक ने उस बालिका का नाम सीता रख दिया।

आज का पंचांग

बृहस्पतिवार, मई 16, 2024
सूर्योदय: 05:30
सूर्यास्त: 19:06
तिथि: अष्टमी – 06:22 तक
नक्षत्र: मघा – 18:14 तक
योग: ध्रुव – 08:23 तक
करण: बव – 06:22 तक
द्वितीय करण: बालव – 19:33 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: गुरुवार
अमान्त महीना: वैशाख
पूर्णिमान्त महीना: वैशाख
चन्द्र राशि: सिंह
सूर्य राशि: वृषभ

शरीर एक नगर

शरीर एक मंदिर है, जिसमें परमात्मा बसता है। शरीर को दोष देने वाला बिलकुल निर्बुद्धि है। सरल विशुद्ध ज्ञानस्वरूप अजन्मा परमेश्वर का ग्यारह द्वारों वाला मनुष्य शरीर एक नगर की तरह है, पुर है।

इसलिए हमने मनुष्य को पुरुष कहा है। पुरुष का अर्थ है जिसके भीतर, जिस पुर में परमात्मा बसा है, जिस नगर में छिपा है। पुरुष बड़ा बहुमूल्य शब्द है, पुर से बना है – नगर। और नगर ही कहना चाहिए, घर कहना ठीक नहीं है, क्योंकि घर बड़ी छोटी चीज है। आपका शरीर सच में ही नगर है। और छोटी – मोटी आबादी नहीं है उस नगर की। सात सौ करोड़ जीवकोष्ठ हैं। सात सौ करोड़ जीवित कोष्ठ आपके शरीर को बना रहे हैं।

शरीर बड़ी अनूठी घटना है। जरा सी चोट लगती है आपको और आप पाते हैं कि थोड़ी ही देर में वहां मवाद इकट्ठी हो गई। आपने कभी सोचा नहीं होगा कि मवाद चोट लगते ही क्यों इकट्ठी होती है? यह मवाद नहीं है, ये आपके खून के सफेद सेल हैं, जो कि शरीर में पुलिस का काम कर रहे हैं, पूरे समय। जहां भी खतरा होता है, उपद्रव होता है, दुर्घटना होती है, भागकर वहां पहुंच जाते हैं। और उस जगह को घेर लेते हैं। क्योंकि उस जगह को घेर लेने के बाद फिर कोई इंफेक्शन भीतर प्रवेश नहीं कर सकता। और अगर वह जगह खुली रह जाए, तो कोई भी कीटाणु, बैक्टीरिया, कोई भी बीमारियों के वाहक तत्काल भीतर प्रवेश कर सकते हैं। उसको आप मवाद कहते हैं। वह मवाद नहीं है, वह आपके शरीर की सुरक्षा का उपाय है।

बड़ा मजा यह है कि इन सात सौ करोड़ सेलों का जो बसा हुआ नगर है, आपका इसको कोई अनुभव ही नहीं है, कि आप भी इसमें हैं। हो भी नहीं सकता। वे अपने काम में लगे रहते हैं। कुछ खून बनाने का काम कर रहे हैं, कुछ भोजन को पचाने का काम कर रहे है। पूरा काम चल रहा है। और सब काम ठीक से विभाजित है।

आज का चिंतन

यदि सही दिशा और सही समय का ज्ञान ना हो, तो व्यक्ति को उगता हुआ सूरज भी डूबता हुआ दिखाई देता है।

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