आज का पंचांग: 23 मई, वैशाख पूर्णिमा आज

पंडित उदय शंकर भट्ट

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आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज ज्येष्ठ मास की 10 गते और वैशाख पूर्णिमा है।

वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल वैशाख पूर्णिमा तिथि पर बुद्ध जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-उपासना की जाती है।

वैशाख पूर्णिमा के दिन का सनातन धर्म में बेहद महत्व है, जो कि इस वर्ष आज गुरुवार, 23 मई 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन लोग सत्यनारायण कथा, चंद्रमा को अर्घ्य और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है जो लोग इस पवित्र दिन पर उपवास रखते हैं उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं। साथ ही उनके घर पर माता लक्ष्मी का वास हो जाता है।

शास्त्रों में निहित है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और परिनिर्वाण हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-उपासना की जाती है।

महात्मा बुद्ध ने बताया कि तृष्णा ही सभी दुखों का मूल कारण है। तृष्णा के कारण संसार की विभिन्न वस्तुओं की ओर मनुष्य प्रवृत्त होता है और जब वह उन्हें प्राप्त नहीं कर सकता अथवा जब वे प्राप्त होकर भी नष्ट हो जाती हैं तब उसे दुख होता है। तृष्णा के साथ मृत्यु प्राप्त करने वाला प्राणी उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता है और संसार के दुख चक्र में पिसता रहता है। अत: तृष्णा को त्याग देने का मार्ग ही मुक्ति का मार्ग है।

आज का भगवद् चिंतन

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नीति वचन

सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा।
शांति:पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम् बान्धवा:॥

यदि जीवन में सत्य होगा तो माता के समान वात्सल्य और रक्षक हमें सर्वत्र प्राप्त करा देगा। यदि जीवन में ज्ञान होगा तो वो हमें पिता के समान आत्मबल और यथोचित सलाह देकर बड़ी से बड़ी चुनौती से लड़ने की सामर्थ्य प्रदान करा देगा। यदि जीवन में धर्म होगा तो वो एक भाई के समान हर संकट में खड़ा रहेगा और जीवन में दया होगी तो वो सच्चे मित्र के समान हर जगह हमारा सहायक होगा।

यदि शांति हमारे स्वभाव में होगी तो एक पत्नी के समान सेवा करने वाले और हमारी हर बात का सम्मान करने वाले हमें सर्वत्र मिल जायेंगे और यदि क्षमा जीवन में होगी तो पुत्रवत् आज्ञाकारी लोग भी हमें सर्वत्र मिल ही जायेंगे।सत्य ही हमारी माता, ज्ञान ही हमारे पिता, धर्म ही हमारा भाई, दया ही हमारा मित्र, शांति ही हमारी पत्नी, क्षमा ही हमारा पुत्र है।

आज का विचार

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यदि सफलता एक सुन्दर पुष्प है, तो विनम्रता उसकी सुगन्ध हैं। जिंदगी में जो चाहो हासिल कर लो, बस इतना ख्याल रखना कि आपकी मंजिल का रास्ता लोगो के दिलों को तोड़ता हुआ न गुजरे

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