पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी रहे, यही शुभकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज सोमवार को भी प्रस्तुत कर रहा है आपके लिए पंचांग, जिसको देखकर आप बड़ी ही आसानी से पूरे दिन की प्लानिंग कर सकते हैं। अगर आप आज कोई नया कार्य आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें ताकि आपके कार्य सफलता पूर्वक संपन्न हो सकें। ज्योतिष एवं धर्म की दृष्टि से इन मुहूर्तों का विशेष महत्व है।
आज का विचार
हम सपने ज्यादा देखते है लेकिन पूरा करने की कोशिश बहुत ही कम करते है। सफलता के लिए दिन रात एक कर देना ही सफलता की निशानी है।
आज का पंचांग
सूर्योदय: 07:15
सूर्यास्त: 17:42
तिथि: चतुर्दशी – 20:10 तक
नक्षत्र: मूल – 19:40 तक
योग: ध्रुव – 21:18 तक
करण: विष्टि – 09:22 तक
द्वितीय करण: शकुनि – 20:10 तक
क्षय करण: चतुष्पाद – 06:51, जनवरी 11 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: बुधवार
पूर्णिमान्त महीना: पौष
चन्द्र राशि: धनु
सूर्य राशि: धनु
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2080 नल
तिथि | चतुर्दशी | 20:06 तक |
नक्षत्र | मूल | 19:29 तक |
प्रथम करण द्वितीय करण |
विष्टि
सकुनि |
09:21 तक 20:06 तक |
पक्ष | कृष्ण | |
वार | बुधवार | |
योग | ध्रुव | 21:09 तक |
सूर्योदय | 07:19 | |
सूर्यास्त | 17:37 | |
चंद्रमा | धनु | |
राहुकाल | 12:29 − 13:46 | |
विक्रमी संवत् | 2080 | |
शक सम्वत | 1944 | |
मास | पौष |
आत्मा की उन्नति
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
जीवन की वास्तविक सफलता और समृद्घि आत्मभाव में जागृत रहने में है। जब मनुष्य, अपने को आत्मा अनुभव करने लगता है तो उसकी इच्छा, आकांक्षा और अभिरूचि उन्हीं कामों की ओर मुड़ जाती है, जिनसे आध्यात्मिक सुख मिलता है। हम देखते हैं कि चोरी, हिंसा, व्यभिचार, छल एवं अनीति भरे दुष्कर्म करते हुए अन्त:करण में एक प्रकार का कोहराम मच जाता है, पाप करते हुए पाँव काँपते हैं और कलेजा धडक़ता है इसका तात्पर्य है कि इन कामों को आत्मा नापसन्द करता है। यह उसकी रुचि एवं स्वार्थ के विपरीत है । किन्तु जब मनुष्य परोपकार, परमार्थ, सेवा, सहायता, दान, उदारता, त्याग, तप से भरे हुए पुण्य कर्म करता है, तो हृदय के भीतरी कोने में बड़ा ही सन्तोष, हलकापन, आनन्द एवं उल्लास उठता है। इसका अर्थ है कि यह पुण्य कर्म आत्मा के स्वार्थ के अनुकूल है। वह ऐसे ही कार्यों को पसन्द करता है। आत्मा की आवाज सुनने वाले और उसके अनुसार चलने वाले सदा पुण्य कर्म ही करते हैं। पाप की ओर उनकी प्रवृत्ति ही नहीं होती, इसलिए वैसे काम उनसे बन भी नहीं पड़ते।
आत्मा को तात्कालीन सुख सत्कर्मों में आता है। शरीर की मृत्यु होने के उपरान्त जीव की सद्ïगति मिलने में भी हेतु सत्कर्म ही हैं। लोक और परलोक में आत्मिक सुख शान्ति सत्कर्मो के ऊपर ही निर्भर है। इसलिए आत्मा का स्वार्थ पुण्य प्रयोजन में है। शरीर का स्वार्थ इसके विपरीत है। इन्द्रियाँ और मन संसार के भोगों को अधिकाधिक मात्रा में चाहते हैं। इस कार्य प्रणाली को अपनाने से मनुष्य नाशवान शरीर की इच्छाएँ पूर्ण करने में जीवन को खर्च करता है और पापों का भार इकठ्ठा करता रहता है। इससे शरीर और मन का अभिरंजन तो होता है, पर आत्मा को इस लोक और परलोक में कष्ट उठाना पड़ता है। तप, त्याग, संयम, ब्रह्मïचर्य, सेवा, दान आदि के कार्यों से शरीर को कसा जाता है। तब ये सत्कर्म सधते हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि शरीर के स्वार्थ और आत्मा के स्वार्थ आपस में मेल नहीं खाते, एक के सुख में दूसरे का दु:ख होता है। दोनों के स्वार्थ आपस में एक-दूसरे के विरोधी हैं। इन दो विरोधी तत्वों में से हमें एक को चुनना होता है। जो व्यक्ति अपने आपको शरीर समझते हैं, वे आत्मा के सुख की परवाह नहीं करते और शरीर सुख के लिए भौतिक सम्पदायें, भोग सामग्रियाँ एकत्रित करने में ही सारा जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे लोगों का जीवन पशुवत् पाप रूप, निकृष्ट प्रकार का हो जाता है। धर्म, ईश्वर, सदाचार, परलोक, पुण्य, परमार्थ की चर्चा वे भले ही करें, पर यथार्थ में उनका पुण्य परलोक स्वार्थ साधन की ही चारदीवारी के अन्दर होता है। यश के लिए, अपने अहंकार को तृप्त करने के लिए, दूसरों पर अपना सिक्का जमाने के लिए वे धर्म का कभी-कभी आश्रय ले लेते हैं।
वैसे उनकी मन:स्थिति सदैव शरीर से सम्बन्ध रखने वाले स्वार्थ साधनों में ही निमग्न रहती है। परन्तु जब मनुष्य आत्मा के स्वार्थ को स्वीकार कर लेता है, तो उसकी अवस्था विलक्षण एवं विपरीत हो जाती है। भोग और ऐश्वर्य के प्रयत्न उसे बालकों की खिलवाड़ जैसे प्रतीत होते हैं। शरीर जो वास्तव में आत्मा का एक वस्त्र या औजार मात्र है, इतना महत्वपूर्ण उसे दृष्टिगोचर नहीं होता है कि उसी के ऐश-आराम में जीवन जैसे बहुमूल्य तत्व को बर्बाद कर दिया जाय। आत्म भाव में जगा हुआ मनुष्य अपने आपको आत्मा मानता है और आत्मकल्याण के, आत्म सुख के कार्यों में ही अभिरुचि रखता और प्रयत्नशील रहता है। उसे धर्म संचय के कार्यों में अपने समय की एक-एक घड़ी लगाने की लगन लगी रहती है।
पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर, आपका दिन शुभ हो…