आज का पंचांग: 5 अप्रैल, शुभ-अशुभ मुहूर्त का समय

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलमयी है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रही है। आज चैत मास  की 22 गते है। आज पाप मोचनी एकादशी व्रत है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी पापों को नष्ट करने वाली होती है, स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने इसके फल एवं प्रभाव को अर्जुन के समक्ष प्रस्तुत किया था। पापमोचनी एकादशी व्रत साधक को उसके सभी पापों से मुक्त कर उसके लिए मोक्ष के मार्ग खोलती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी का पूजन करना चाहिए।

सनातन धर्म में माना गया है कि एकादशी व्रत करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का वास भी बना रहता है। इस बात से ही एकादशी तिथि के महत्व का पता लगाया जा सकता है कि भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मैं तिथियों में एकादशी हूं। ऐसे में आप विष्णु जी की विशेष कृपा के लिए एकादशी तिथि पर विष्णु चालीसा का पाठ कर सकते हैं।

आज का पंचांग

शुक्रवार, अप्रैल 5, 2024
सूर्योदय: 06:06
सूर्यास्त: 18:41
तिथि: एकादशी – 13:28 तक
नक्षत्र: धनिष्ठा – 18:07 तक
योग: साध्य – 09:56 तक
करण: बालव – 13:28 तक
द्वितीय करण: कौलव – 23:56 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: शुक्रवार
अमान्त महीना: फाल्गुन
पूर्णिमान्त महीना: चैत्र
चन्द्र राशि: मकर – 07:12 तक
सूर्य राशि: मीन
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2081 पिङ्गल

आज का विचार

सफलता की ख़ुशी मनाना अच्छा है, पर उससे भी अधिक जरूरी अपनी असफलता से सीख लेना है। समय बहाकर ले जाता है नाम और निशान, कोई ‘हम’ में रह जाता है कोई ‘अहम’ में।

आज का भगवद् चिंतन

 अपराध बोध

Uttarakhand

सरल अर्थों में मनुष्य का अपराध बोध ही उसका प्रायश्चित कहलाता है।जिस प्रकार कर्म जीवन का स्वभाव है उसी प्रकार कर्म फल का भोग भी जीवन की अनिवार्यता है। मनुष्य जिस प्रकार के कर्म करता है उस प्रकार का फल उसे ना चाहते हुए भी देर – सबेर अवश्य भोगना ही पड़ता है। जाने – अनजाने मनुष्य से अनेक पाप कर्म बन ही जाते हैं।

मनुष्य द्वारा जाने – अनजाने किये जाने वाले उन्हीं पाप कर्मों के फल स्वरूप उसके कर्म फल का भी निर्धारण किया जाता है और उन पाप कर्मों के आधार पर ही उसके दण्ड का भी निर्धारण होता है। उन पाप कर्मों के फल से बचने के लिए शास्त्रों ने जो विधान निश्चित किया गया है, उसी को प्रायश्चित कर्म कहा गया है। दैन्य भाव से प्रभु चरणों की शरणागति एवं प्रभु के मंगलमय नामों का दृढ़ाश्रय लेते हुए जानबूझकर आगे कोई पाप कर्म ना बने, इस बात का दृढ़ संकल्प ही मनुष्य का सबसे बड़ा प्रायश्चित है।

प्राणियों में सद्भावना हो,

विश्व का कल्याण हो।

Uttarakhand

गौ माता की जय हो।

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *