पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज सोमवार का दिन है। आज 24 गते वैशाख है।
बुरे कर्म का नतीजा
कर्म, सत्ता किसी को नहीं छोड़ती, चाहे वह राजा हो या रंक। अमीर हो या गरीब, सभी के साथ समान न्याय करती है। व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल मिलता है। बुरे कर्म का नतीजा बुरा मिलता है। कर्म आठ प्रकार के होते है। इन कर्मों का क्षय होने के बाद आत्मा सिद्धी गति को प्राप्त करती है।
कर्म आखिर है क्या? शरीर धारण करने के बाद जो कुछ भी हम सोचते हैं, संकल्प करते हैं और स्थूल रूप में करते हैं, वही कर्म है। जैसे ही आत्मा मन-मस्तिष्क में प्रवेश करके संकल्प करना शुरू करती है, वहीं से कर्म बनना शुरू होता है। तो सोचना, बोलना, देखना, सुनना, खाना, पीना, उठना, बैठना, गाना, रोना, सोना, बोलना, नाचना, लिखना, पढ़ना आदि सब कर्म हैं। शरीर से लेकर आत्मा के माध्यम से की गई छोटी और बड़ी शारीरिक या मानसिक हलचल या क्रिया ही कर्म कहलाती है।
कर्मों की गति बहुत ही सूक्ष्म है, जिसे बड़े-बड़े विद्वान भी नहीं समझ पाते। कर्म का सिद्धांत बिना रुके निरंतर कार्य करता है। इसमें भगवान को देख-रेख करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए भगवान हमारे कर्मों में दखल नहीं देते। वे न तो सजा देते हैं और न ही कृपा करते हैं। सब अपने आप होता है। उनका काम है- विवेक प्रदान करके सही गलत का फर्क जानने का ज्ञान, मार्गदर्शन और शक्ति देना। कई बार लोग कर्म के सिद्धांत और भगवान के अस्तित्व पर विश्वास करने से कतराते हैं क्योंकि वे देखते हैं कि आज बुरे कर्म करने वाले सुखी और अच्छे कर्म करने वाले दुखी दिखाई देते हैं। पर ऐसा नहीं है। भगवान के घर न तो देर है और न ही अंधेर। हर कर्म का फल उसके उचित समय पर मिलता ही है। कर्म की अदालत में से कोई भी नहीं छूट सकता।
हमारे हाथ में केवल एक ऑप्शन है कि क्या कर्म करना है। एक बार कर्म कर दिया, फिर वह समाप्त नहीं होता। और आत्मा का पहला कर्म है संकल्प। एक बार संकल्प किया तो फिर वह मिट नहीं सकता। अच्छे कर्म का भी फल मिलता है और बुरे कर्म का भी फल मिलता है। दोनों के खाते अलग-अलग हैं। जब तक बैलेंस शीट बराबर नहीं होती, जन्म और मरण का क्रम चलता रहेगा। कर्म सदा पुण्य और पाप के रूप में जमा होता रहता है। जैसे बीज एक खेत में डाल दिया तो फिर उसका फल मिलेगा ही। बीज बोना या न बोना, केवल यही हमारे हाथ में है। कर्म केवल स्थूल विचार नहीं है, बल्कि हर पल हम जो सोचते हैं, हमारे विचार व भावनाएं भी कर्म ही होती हैं, उनके भी फल होते हैं। साथ-साथ जिस भावना के साथ कोई कर्म किया जाता है, वह भी उसका फल निर्धारण करने में निर्णायक होती है। कुछ कर्म जल्दी फल देते हैं और कुछ बहुत देर बाद। हो सकता है कि अगले जन्म या फिर उसके अगले जन्म। तब तक वे स्टॉक में जमा रहते हैं, जिसे संचित कर्म कहते हैं।
इसलिए हर काम खूब सोच-समझकर करना चाहिए। कहा भी गया है ‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा।’ और अंत में भगवान श्री कृष्ण गीता के अठारहवें अध्याय में बहुत ही सरलता से समझाते हुए कह रहे हैं, ‘सर्वधर्म त्याग कर मेरी एक की ही शरण में होने से मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा।’ संपूर्ण शरणागत होने से भक्त का सारा भार भगवान अपने कंधों पर ले लेते हैं और अंत में कर्म-फल का सिद्धांत भी गौण हो जाता है।
आज का पंचांग
सोमवार, मई 6, 2024
सूर्योदय: 05:36
सूर्यास्त: 19:00
तिथि: त्रयोदशी – 14:40 तक
नक्षत्र: रेवती – 17:43 तक
योग: प्रीति – 00:29, मई 07 तक
करण: वणिज – 14:40 तक
द्वितीय करण: विष्टि – 01:09, मई 07 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: सोमवार
अमान्त महीना: चैत्र
पूर्णिमान्त महीना: वैशाख
चन्द्र राशि: मीन – 17:43 तक
सूर्य राशि: मेष