पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज 24 अप्रैल को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, इसका नाम वरुथिनि है। ये व्रत घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना से किया जाता है। इस व्रत में भक्त दिनभर निराहार रहते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी के व्रत के शुभ फल से संतान की समस्याएं दूर होती हैं। ये व्रत महालक्ष्मी की प्रसन्नता पाने की कामना से भी किया जाता है।
वरूथिनी एकादशी की व्रत कथा : महाराज युधिष्टि्र ने श्री कृष्ण से कहा, हे भगवान आप मुझे कोई ऐसा व्रत का विधान जिससे पुष्य मिले। तब भगवान कृष्ण ने कहा, हे रोजेश्वर, ऐसे व्रत का नाम वैशाख मास की वरुथिनि एकादशी है। यह सौभाग्य देने वाली और सभी पापों को नष्ट करने वाली है। इस एकादशी पर व्रत करने से 10,000 सालों तक तप करने के बराबर फल मिलता है। जो फल सूर्यग्रहण के समय एक लाख भार के स्वर्ण के दान करने से मिला है वो इस व्रत को रखने से मिल जाता है। ऐसा कहा जाता है कि हाथी दान, घोड़े के दान से, स्वर्णदान अन्न के दान से और अन्न दान के बराबर कोई दान श्रेष्ठ नहीं माना जाता है। अन्न दान से देवता, पितर और मनुष्य तीनों तृप्त हो जाते हैं। इस एकादशी पर कन्या दान और अन्न दान दोनों के योग के बराबर फल मिलता है। जो लोग लोभ के वश में होकर कन्या का धन लेते हैं, उन्हें अगले जन्म में बिलाव का जन्म मिलता है। जो मनुष्ट कन्या दान करते हैं, उनके पुण्य चित्रगुप्त भी नहीं लिख पाते।
प्राचीन समय में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता नाम के राजा रहते थे। राजा का धर्म निभाने के साथ ही वह जप तप करते रहते थे। साथ ही प्रजा के प्रति दयाभाव रखते थे। एक बार वह तपस्या में लीन थे तो एक भालू ने उनका पैर चबा लिया और राजा को जंगल की ओर खींचकर ले गया। तब राजा ने विष्णु भगवान से प्रार्थना की। भक्त की पुकार सुनकर पहुंचे विष्णु भगवान ने अपने चक्र से भालू को मार डाला। लेकिन राजा का पैर भालू ने नोचकर खा लिया था। इस बात का राजा को बहुत दुख था। राजा को दुखी देखकर विष्णु भगवान ने कहा कि राजन भालू ने जो तुम्हारा पैर काटा है। वह तुम्हारे पूर्व जन्म का पाप है, जिसकी सजा तुम्हें इस जन्म में भुगतनी पड़ रही है। राजा ने इससे मुक्ति पाने का उपाय पूछा तो भगवान विष्णु ने कहा कि राजन, तुम मेरी वाराह अवतार मूर्ति की पूजा वरूथिनी एकादशी का व्रत धारण करके करो। इससे तुम्हारे पाप कट जाएंगे और व्रत के प्रभाव से दोबारा अंगों वाले हो जाआगे। इसके बाद राजा ने वरुथिनी एकादशी का व्रत धारण किया तो उनका पैर फिर से सही हो गया।
कैलेंडर
तिथि | एकादशी 🌒 दोपहर 02:32 बजे तक |
नक्षत्र | शतभिषा 🌌 प्रातः 10:49 बजे तक |
🌘 | |
पूर्वा भाद्रपद 🌌 | |
योग | ब्रह्मा 🧘 03:56 PM तक |
करण | बलव 🕐 02:32 PM तक |
इंद्र 🧘 | |
कौलव 🕐 01:12 AM, अप्रैल 25 तक | |
काम करने के दिन | गुरूवार 🪐 |
शीर्षक 🕐 | |
पक्ष | कृष्ण पक्ष 🌑 |
चंद्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर
विक्रम संवत | 2082 कालयुक्त 🗓️ |
संवत्सर | कालयुक्त 🗓️ अपराह्न 03:07 बजे तक, 25 अप्रैल, 2025 |
शक संवत | 1947 विश्वावसु 🗓️ |
सिद्धार्थी 🗓️ | |
गुजराती संवत | 2081 नल 🗓️ |
चन्द्रमासा | वैशाख – पूर्णिमांत 🗓️ |
दायाँ/गेट | 11 🗓️ |
चैत्र – अमंता 🗓️ |
आज का विचार
सब के पास समान आँखे हैं, लेकिन सब के पास समान दृष्टिकोण नहीं। बस यही इंसान को इंसान से अलग करता है.!