पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज आश्विन माह और दशमी तिथि का श्राद्ध है।
इन दिनों पैसे कमाने की होड़ लगी है। कोई कुछ भी कहे, आदमी के सारे काम पैसे से शुरू होते हैं और पैसे पर खत्म हो जाते हैं। लक्ष्मी जी जब समुद्र मंथन से निकलीं तो ग्रंथकार ने लिखा, ‘रूपोदार्य वयोवर्ण महिमा क्षिप्त चेत सः।’ उनका रूप-रंग सबके चित्त को अपनी ओर खींच रहा था। लक्ष्मी सभी को पसंद हैं। पर कभी-कभी ये भी विचार करें कि लक्ष्मी जी को क्या पसंद है।
लक्ष्मी जी का मानना है कि लोग कुटिलता और चतुरता, दोनों से ही मुझे कमाएंगे। चतुर लोग सावधानी से मुझे अर्जित करेंगे तो कुटिल दूसरों को ठगेंगे। इन दिनों साइबर क्राइम की बाढ़ आ गई है। आपको ऐसे-ऐसे फोन आएंगे कि आप सम्मोहित होकर अपनी धनराशि ट्रांसफर कर देंगे।
लक्ष्मी जी ने कहा है कि लालच में आकर अगर ठगा रहे हो तो मेरी दृष्टि में मूर्ख हो। भोलेपन में ठगा रहे हो तो भी मैं पसंद नहीं करती। मेरे साथ एक सावधानी का व्यवहार करना चाहिए। इसलिए अगर आप डिजिटल माध्यम से दिनचर्या को जोड़ चुके हैं तो सावधान हो जाइए।
नए किस्म के लुटेरे पहले आपकी बुद्धि को लूटते हैं और बाद में धन को। अच्छे-अच्छे समझदार ठगी के शिकार हो रहे हैं। लक्ष्मी देवी उनको देखकर व्यंग्य से मुस्कुरा रही हैं कि मैंने सावधान रहने को कहा था और तुम लालच और भय में डूब गए।
आज का विचार
जो व्यक्ति शक्ति ना होते हुए भी मन से नही हारता है, उसे दुनिया की कोई ताकत नही हरा सकती है।
आज का भगवद् चिन्तन
माया के भ्रम से बचो
माया के प्रभाव के कारण ही जीव को अपने परम हितैषी प्रभु भी पराये लगने लगते हैं। यह जानने के बाद भी कि सब कुछ यहीं छूट जाना है, कुछ भी साथ नहीं जाने वाला फिर भी मनुष्य मूढ़ों की तरह धन, संपत्ति, पद इत्यादि के पीछे पड़कर जीवन व्यर्थ गवां रहा है। माया जीव को सदैव भ्रम में रखती है। जो अपना है नहीं उसे अपना समझना ही तो भ्रम कहलाता है।
माया ऐसी जादूगरनी है, कि कई-कई बार धोखा खाया जीव भी पुनः इसके जाल में फँस ही जाता है। सत्संग के आश्रय से ही अंतः चक्षु खुल सकते हैं और जीव के अंतः चक्षुओं से ही भ्रम का पर्दा हट सकता है। माया के ज्यादा चिंतन के कारण ही जीव दुःख पा रहा है। माया नहीं मायापति का आश्रय करो व लक्ष्मी नहीं लक्ष्मी नारायण के दास बनो, तो ये लोक और परलोक दोनों सुधर जायेंगे।