आज का पंचांग: झूठी तारीफ से सतर्क रहना चाहिए

पंडित उदय शंकर भट्ट

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

हमारे आसपास कई लोग रहते हैं, कभी-कभी कुछ लोग हमारी तारीफ भी करते हैं। जब कोई व्यक्ति हमारी तारीफ करता है तो हमें सतर्क रहना चाहिए और तारीफ करने वाले व्यक्ति की मूल भावना को समझना चाहिए, क्योंकि कुछ लोग झूठी तारीफ करके हमारा ध्यान भटका देते हैं और फिर हमें नुकसान पहुंचाते हैं। ये बात हम रामायण के हनुमान और रावण से जुड़े प्रसंग से समझ सकते हैं…

श्रीराम वानर सेना के साथ लंका पहुंच गए थे। श्रीराम-लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव और वानर सेना ने रावण के कई महायोद्धाओं को मार दिया था। युद्ध में एक दिन रावण और लक्ष्मण आमने-सामने आ गए।

रावण ने एक ऐसे दिव्यास्त्र का इस्तेमाल किया, जिसके प्रभाव से लक्ष्मण कुछ देर के लिए बेहोश हो गए थे। रावण बेहोश लक्ष्मण के पास पहुंचा और लक्ष्मण को उठाने की कोशिश करने लगा।

उसी समय हनुमान जी ने देखा कि रावण लक्ष्मण को उठाने की कोशिश कर रहा है तो वे तुरंत वहां पहुंच गए। अब हनुमान जी और रावण आमने-सामने आ गए थे। हनुमान जी ने तुरंत ही रावण को एक ऐसा मुक्का मारा कि वह गिर गया और बेहोश हो गया।

कुछ देर बाद जब रावण को होश आया तो उसने खड़े होकर हनुमान जी की तारीफ करनी शुरू कर दी। रावण जैसा अधर्मी असुर, जिसने कभी किसी की तारीफ नहीं की थी, वह हनुमान जी की तारीफ कर रहा था।

हनुमान जी ने रावण की बातें सुनकर कहा कि रावण चुप रहो, मैं तुम्हारे मुख से अपनी प्रशंसा सुनना नहीं चाहता। मुझे तो धिक्कार है कि मेरे मुक्का मारने के बाद भी तुम जीवित बच गए। तुम अभी भी जीवित हो, ये मेरी ही कमजोरी है।

हनुमान जी की ये बातें सुनकर रावण समझ गया कि ये व्यक्ति अपनी झूठी प्रशंसा के झांसे में नहीं आएगा। हनुमान जी लक्ष्मण को लेकर तुरंत वहां से आगे बढ़ गए।

हनुमान जी जानते थे कि रावण जैसे लोग तारीफ करके दसरों को भटका देते हैं. फिर पराजित कर देते हैं और हमें नुकसान पहुंचाते हैं।

हनुमान जी की सीख

जब कोई हमारी प्रशंसा करता है तो हमें उस व्यक्ति की नीयत समझने की कोशिश करनी चाहिए। जिन लोगों की नीयत अच्छी नहीं है, उनकी मीठी-मीठी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग झूठी तारीफ करके हमें हमारे लक्ष्य से भटका देते हैं और फिर हमें नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे सतर्क रहना चाहिए।

आज का भगवद् चिन्तन

चरित्र की सुंदरता

विचारों की दुषिता का प्रभाव हमारे जीवन की धवलता को उसी तरह सौंदर्य विहीन कर देती है जिस तरह काला रंग सफेद कागज को। हमारे जीवन निर्माण में विचारों की बहुत अहम भूमिका होती है। जितने स्वच्छ हमारे विचार होंगे निसंदेह उतना स्वच्छ हमारा जीवन भी होगा। जीवन के गुलदस्ते में गंदे विचार काले रंग के समान हैं जो उसके सौंदर्य को नष्ट कर देते हैं।

मैले और गंदे आवरण से परहेज रखना अच्छा है पर मैले और गंदे आचरण से परहेज रखना उससे भी महत्वपूर्ण है। विचारों से हमारे आचरण का निर्माण होता है। स्वच्छ विचार ही श्रेष्ठ आचरण को जन्म देते हैं। कपड़ों को स्वचछ रखने का सदैव प्रयास करते हो ऐसे ही विचारों को स्वच्छ रखने के लिए भी सदैव प्रयासरत रहें क्योंकि तन से ज्यादा मन की और चेहरे से ज्यादा चरित्र कि स्वच्छता जीवन को श्रेष्ठ बनाती है।

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